बाढ़ राहत राशि मांगने के नाम पर उड़ाई गईं कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां
संवाद सहयोगी महनार (वैशाली) गुरुवार को कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए बड़
संवाद सहयोगी, महनार (वैशाली) :
गुरुवार को कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए बड़ी संख्या में हसनपुर उतरी पंचायत की महिलाएं एवं पुरुषों ने प्रखंड कार्यालय पहुंचकर बाढ़ राहत राशि की मांग करने लगे। अचानक आई इस भीड़ से यहां मौजूद लोग भी कुछ समझ नही पा रहे थे। वही पदाधिकारियों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। बताते हैं कि प्रखंड कार्यालय भवन के भीतर हसनपुर उतरी पंचायत के वार्ड संख्या 8, 10, 12, 13, 14 आदि की महिला एवं पुरुष बाढ़ राहत की राशि के लिए पहुंच गए। इन लोगों का आरोप था कि बार-बार के आग्रह के बावजूद भी इन लोगों को बाढ़ राहत की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
इस मौके पर उपस्थित वार्ड संख्या 10 के जोगिदर पासवान, शाउली देवी, प्रमिला देवी, शिव कुमार पासवान, आशा देवी, वार्ड संख्या 14 की मीना देवी आदि ने बताया कि उन्हे महीनों बीतने के बाद भी अभी तक बाढ़ राहत का पैसा नहीं मिला है। कागजात आदि भी जमा किया था। लेकिन इसके बावजूद भी उनको राशि का भुगतान नहीं किया गया है। बताया कि उन लोगों के वार्ड में कई लोगों को पैसा मिला। लेकिन उन लोगों को अभी तक केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है। इन लोगों के साथ मौके पर पहुंचे मूनटुन ने बताया कि उन्हें लगातार तंग किया जा रहा था। इसीलिए वह अपने वार्ड के लोगों को लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने साथ केवल 10 लोगों को लेकर आए हैं। अन्य लोग भी अपने अपने वार्ड के लोगों के साथ यहां पहुंचे हैं।
वहीं सीओ रमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। वह चाहेंगे कि इस प्रकार की बात दोबारा नहीं हो ताकि प्रशासन को कार्रवाई करना पड़े। उन्होंने कहा कि जो भी इनको भेजा है उसने बिल्कुल गलत कार्य किया है। अगर कोई बात थी तो मुखिया के माध्यम से जानकारी आनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में यहां महिलाएं आ गई हैं।
बताया गया हे कि गंगा नदी के पानी को ही केवल बाढ़ माना गया है। वर्षा के पानी को बाढ़ नहीं माना गया है। उन्होंने कहा कि जो भी बात है उसको वह जिला के डीएम एवं अपर समाहर्ता को अवगत कराएंगे। वहीं दूसरी ओर मौके पर उपस्थित लोग प्रशासन के रवैए से काफी आक्रोशित थे। उन्हें ना तो कोरोना गाइडलाइन की चिता थी और ना ही किसी नियम कानून की। वहां किसी के चेहरे पर कोई मास्क भी नही लगा था। ऐसे में सवाल उठता है कि जो कोई भी उन को बहला-फुसलाकर या राजनीति करने के उद्देश्य से यहां लाया उसने सीधे तौर पर कानून को चुनौती देने का प्रयास किया है। साथ इन लोगों की जान के साथ-साथ दूसरे लोगों की जान भी संकट में डालने का काम किया है।