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अभियान- जलदान:::::जलकुंभी के जंगल में गुम हो गए तालाब

फोटो फाइल नंबर-16एसयूपी-13 संवाद सूत्र, करजाईन-बाजार (सुपौल): हमेशा से भारतीय संस्कृति में तालाबों

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 04:55 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 04:55 PM (IST)
अभियान- जलदान:::::जलकुंभी के जंगल में गुम हो गए तालाब
अभियान- जलदान:::::जलकुंभी के जंगल में गुम हो गए तालाब

फोटो फाइल नंबर-16एसयूपी-13

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संवाद सूत्र, करजाईन-बाजार (सुपौल): हमेशा से भारतीय संस्कृति में तालाबों का सामाजिक, सांस्कृतिक व पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तालाब जल संरक्षण का प्रमुख आधार भी है। पहले हमारे यहाँ खेती के लिये लोग अधिकतर तालाब आदि परंपरागत साधनों का ही इस्तेमाल किया करते थे। इतिहास इसकी गवाही देता है। लेकिन आज हम उससे विमुख होते जा रहे हैं। नतीजतन लगातार नीचे गिर रहे भू-गर्भ जलश्रोत से ¨चतित होकर सरकार जल संरक्षण के लिए मनरेगा सहित कई महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से पोखर व तालाब की खुदाई करवा रही है। लेकिन राघोपुर व बसंतपुर प्रखंड क्षेत्र में उक्त योजनाओं के बावजूद सरकारी व निजी तालाब अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए गुहार लगा रहे हैं। आज बढ़ती जनसंख्या एवं इसके जरूरतों के हिसाब से लोगों ने जल संरक्षण के प्रमुख आधार तालाब को भी अतिक्रमित करना शुरू कर दिया है। इससे तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ बाजार के नजदीक स्थित तालाब भी उपेक्षा के कारण अस्तित्व का संकट झेल रहा है। तालाब की खुदाई एवं साफ-सफाई की बात कौन कहे अधिकांश तालाब कचरे व जलकुम्भी के जंगल में गुम होकर रह गए हैं। आज क्षेत्र के अधिकांश पोखर जलकुंभियों से भरा पड़ा है। शायद ही इसकी सफाई की जाती है। इससे आदमी के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है। प्रशासनिक उदासीनता व लोगों की उपेक्षा की वजह से तालाब व पोखर दिनों-दिन सिमटते जा रहे हैं। समय रहते इन तालाबों का जीर्णोद्धार व सफाई नहीं की गई तो इसे बचाकर रखना मुश्किल हो जाएगा। क्षेत्र के संस्कृत निर्मली पंचायत में कहने को तो कई तालाब हैं। लेकिन स्थिति हर जगह एक ही जैसी दिखती है। निर्मली- दीनबंधी रोड के बगल में स्थित दो तालाब का जब मुआयना किया तो उनकी हालत देखकर खुद-ब-खुद अंदाजा लग गया कि आज के समय में तालाबों के रखरखाव के प्रति लोग बिल्कुल ही उदासीन हो गए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक इस क्षेत्र में स्थित तालाब पानी से लबालब भरा रहता था। छठ पर्व के मौके पर पूरा तालाब दीये की रोशनी से जगमगाता था। लेकिन रखरखाव के अभाव में अब यहां के तालाब सूख रहे हैं या जलकुम्भी के जंगल में तब्दील हो गए हैं। किसी तरह भगवान भरोसे तालाब का अस्तित्व बचा हुआ है। यही हाल रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में पोखर व तालाब का नाम तो रह जाएगा लेकिन अस्तित्व मिट जाएगा।


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