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पानी घटने के बावजूद कोसीवासी झेल रहे परेशानी, मुश्किल में जिदगानी

सुपौल। कोसी नदी में बीते कई दिनों से जलस्तर काफी नीचे चला गया है। कोसी में पानी घटने के ब

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 06:32 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 06:32 PM (IST)
पानी घटने के बावजूद कोसीवासी झेल रहे परेशानी, मुश्किल में जिदगानी
पानी घटने के बावजूद कोसीवासी झेल रहे परेशानी, मुश्किल में जिदगानी

सुपौल। कोसी नदी में बीते कई दिनों से जलस्तर काफी नीचे चला गया है। कोसी में पानी घटने के बाद भी उसके गोद में बसे सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक गांवों की परेशानी कम नहीं हो रही है। नदी का पानी अभी भी लोगों के घर-आंगन के अगल-बगल जमा है और उस पानी को निकलने में काफी समय लग सकता है। वैसे भी जब गांव से पानी नीचे उतर जाता है तो फिर नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और इस कारण गांव में अधिकांश जगहों पर पानी जमा ही रह जाता है कोसी नदी में उतार-चढ़ाव के कारण सितंबर माह तक लोगों को कीचड़ में चलने की मजबूरी होगी। क्योंकि सितंबर माह तक बाढ़ की संभावना रहा करती है। कोसी के बीच में बसे गांव लौकहा, कोढ़ली, कड़हरी, कबियाही, तकिया, सियानी, ढ़ोली, झकराही, कटैया, कटैया-भुलिया, औरही पलार, बलथरवा पलार, बनैनियां पलार, गढि़या उत्तर, मौरा पलार में अधिकतर जगहों पर धान की फसल पानी में बर्बाद हो चुकी है। लोगों को मवेशी के चारे की व्यवस्था करने में काफी कठिनाई बढ़ गई है। लोग माल-मवेशी को खुले मैदान तक नहीं ले जा सकते, क्योंकि हर जगह कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रहा है।

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तीन गांव के अस्तित्व पर बना है खतरा

कोसी के तीन गांव सियानी, कटैया तथा ढोली इस बार नदी के निशाने पर है। पश्चिम में सिकहट्टा के पास से नदी का धारा सीधे इन गांव की ओर मुड़ी हुई है जो खतरा का संकेत दे रहा है। नदी के पानी में बढ़ोतरी होते ही गांव में 2 से 3 फीट पानी बहने लगता है और लोग घरों में कैद हो जा रहे हैं। गांव के कई लोगों ने बताया यही हालात रहा तो उन सबों को विस्थापित होकर दूसरे गांव में जाना पड़ सकता है। लोगों का कहना है कि जब से बाढ़ का समय आया तब से एक दिन के लिए भी पानी गांव से नीचे नहीं गया है क्योंकि जितना पानी नीचे जाता है उतना फिर भर जाता है। गांव के सभी रास्ते कीचड़मय है। जिस पर चलने में लोगों को कठिनाई होती है। लोग एक-जगह से दूसरी जगह नहीं जा पा रहे हैं और यदि जाते भी हैं तो काफी खतरा भरा होता है।

-------- नहीं मिल रही है राहत

नदी का पानी कम होने के बाद भी लोगों के बीच राहत नहीं पहुंचाया जा रहा है। जानकारी अनुसार कई लोगों के घरों में रखा अनाज पानी में बर्बाद हो गया जिस कारण उसको खाने के लाले पड़ने लगे हैं। कोसी के गांव में हर लोगों का घर फूस का हुआ करता है और फूस के घर में सामान को सुरक्षित रखना कितना संभव होता है यह प्रभावित गांव के लोग ही जान पाते हैं। इतने के बावजूद भी प्रशासनिक स्तर से गांव के लोगों तक राहत नहीं पहुंचाना चर्चा का विषय बनता जा रहा है।

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पशुचारा संकट और संक्रमण की आशंका से सहमे पीड़ित

नदी के जलस्तर घटने के साथ ही बाढ़ पीड़ित विभिन्न प्रकार की होने वाली संक्रमण की बीमारियों की आशंका और पशुचारा के संकट से परेशान हैं। बाढ़ का पानी हटने के बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है और पशुओं के लिए चारा जुटाना लोगों के लिए एक समस्या बन गई है। लोगों के लिए पीने का पानी सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न कर रही है। अभी बाढ़ पीड़ितों को खाने-पीने की समस्या है। ग्रामीणों नेबताया कि जिला प्रशासन द्वारा पानी घटने के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ब्लीचिग पाउडर का छिड़काव करना जरूरी है। ताकि लोग संक्रमण वाली बीमारियों से मुक्त हो सके।

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बाढ़ के पानी से प्रभावित परिवारों को राहत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए तैयारी की जा रही है। अंचलाधिकारी ने कहा कि अब तक जिला से कोई इस तरह का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है जिस कारण राहत का वितरण शुरू नहीं हुआ है।

संजय कुमार

अंचलाधकारी


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