योग से बढ़ती है शारीरिक व मानसिक एकाग्रता : पुण्यदेव
सुपौल। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के तत्वावधान में पिपरा प्रखंड के निर्मली स्थित भागीरथ उच्च विद्यालय
सुपौल। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के तत्वावधान में पिपरा प्रखंड के निर्मली स्थित भागीरथ उच्च विद्यालय के प्रांगण में योग प्रचारक प्रकल्प के प्रमुख पूज्य स्वामी पुण्यदेव जी महाराज के द्वारा दो दिवसीय योग शिक्षक सम्मान समारोह शिविर के पहले दिन सोमवार को योग जागरण रैली निकाली गई। स्वामी द्वारा योगाभ्यास तथा स्वदेशी का चर्चा किया गया तथा इस दौरान योग शिविर में पहुंचे साधकों से कहा कि योग से शारीरिक और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इससे लोगों को आंतरिक मन में झांकने तथा शारीरिक संरचना और विभिन्न अंगों को आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करने में बल मिलता है। वर्तमान में योग हमारी आवश्यकता बन चुकी है। इसके फायदे लोगों को आकर्षित करती है। योग के संचालन के लिए खास व्यवस्था भी करने की आवश्यकता नहीं है। योगाभ्यास छोटे स्थानों पर भी किया जा सकता है। बताया कि योग के विभिन्न आसनों से शरीर के अंदर के विभिन्न अंगों की क्रियाशीलता बढ़ती है। उनके द्वारा वांछित मात्रा में ही एंजाइम का उत्सर्जन होता है जो शरीर को संतुलित रखने में उपयोगी साबित होता है। योग जिमनास्टिक अथवा व्यायाम नहीं है जो शरीर के मांसपेशियों को उद्रीत कर गठीला बनाता है। बल्कि योग एक ऐसी विद्या है जो मनुष्य को एक ही अवस्था में घंटों बने रहने की क्षमता प्रदान करता है। जिससे शरीर के अंदर का विभिन्न अंग प्रभावित होता है। इसके साथ ही शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए विभिन्न क्रियाओं में संतुलन होता है। इससे तंत्रिका तंत्र से लेकर उत्सर्जन तंत्र तक प्रभावित होता है। जिसके लिए लोगों को महज विभिन्न आसनों का अभ्यास ही करना ही काफी है। विभिन्न आसनों के अभ्यास मात्र से शारीरिक ताजगी और मानसिक एकाग्रता प्राप्त होती है। जीवन शैली प्रभावित होती है। शांति के साथ ही परिवार और परिवेश में शालीनता आती है। अच्छे विचारों का संचरण होता है और समाज में खुशहाली मिलती है। योग शिविर में वेद का मंत्र से शुरुआत करके योगिक जॉ¨गग व्यायाम, सूर्य नमस्कार, दण्ड बैठक, आसन, प्राणायाम, ध्यान, सूक्ष्म व्यायाम कराकर लोगो को निरोग रहने के लिए बताया गया। योग शिविर में जगदीश मंडल, सुनील पोद्दार, ऋतम्भरा भारती, निशा कुमारी, पुरुषोत्तम कुमार, ज्ञानेंद्र कुमार, वीरेंद्र कुमार, हरी प्रसाद ¨सह, सीताराम यादव, शशिभूषण मंडल, राघवेंद्र कुमार, वंदेलाल विहंगम आदि मौजूद थे।