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21 वर्षों में भी नहीं बन सका कोल्डस्टोरेज, बाट जोहते किसान

सुपौल। प्रखंड क्षेत्र में कृषि क्षेत्र की हालत खस्ता है। भले ही किसानों की आय दोगुनी करने की

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 07:52 PM (IST)
21 वर्षों में भी नहीं बन सका कोल्डस्टोरेज, बाट जोहते किसान
21 वर्षों में भी नहीं बन सका कोल्डस्टोरेज, बाट जोहते किसान

सुपौल। प्रखंड क्षेत्र में कृषि क्षेत्र की हालत खस्ता है। भले ही किसानों की आय दोगुनी करने की बात सरकार की ओर से की जाती है, लेकिन प्रखंड में कृषि की स्थिति सुधारने के लिए कोई समुचित पहल दूर-दूर तक होती नहीं दिख रही है। केन्द्रीय भंडारण का भूमिपूजन व शिलान्यास बिहार सरकार के तात्कालीन कृषि मंत्री रामजीवन ¨सह के कर-कमलों द्वारा विशेष अतिथि बिहार सरकार के भूतपूर्व मंत्री अनूपलाल यादव की उपस्थिति में 5 जून 1997 को संपन्न हुआ था। लेकिन विडंबना कहिए कि आजतक इस परिक्षेत्र के सब्जी उत्पादक को कोल्डस्टोरेज देखने का नसीब नहीं हुआ। बल्कि शिलापट्ट पर ही कोल्डस्टोरेज बाट जोह रहा है। प्रखंड मुख्यालय के मचहा, कुशहा, मयुरवा, योगियाचाही, तितुवाहा आदि ऐसे गांव है जहां की गोभी, आलू आदि कई शहरों व गांवों की थाली में प्रतिदिन पड़ोसी जाती है। हालांकि किसानों को कई तरह के दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन इन्हें न तो सरकार से कोई शिकायत है व न मदद की कोई उम्मीद। दिक्कत आने पर ये कर्मठ किसान अपनी राह खुद गढ़ लेते हैं। इन गांवों के किसान साइकिल, मोटरसाइकल व अन्य वाहनों पर सब्जियों को लाद त्रिवेणीगंज की मंडियों में लाते है। यह काम सूरज के निकलने के पूर्व पूरा हो जाता है। मोबाइल रहने के कारण इनका मंडियों तक पहुंचाना आसान हो गया है। लेकिन सुविधा के आभाव में किसान को हर दिन उगाओ-हर दिन बेचो के सिद्धांत पर काम करना पड़ता है। स्थानीय हटिया व नजदीक के बाजार में किसान औने-पौने दाम में बेचने को विवश होते है। इस परिक्षेत्र के सब्जी उत्पादक से बात करने पर ऐसा लगा कि बाजार व कोल्डस्टोरेज के अभाव का दर्द झेलना पर रहा है। यदि मंडी नजदीक होती है तो हरि सब्जी आसानी से मंडी तक पहुंच जाती व कोल्डस्टोरेज का अभाव होते नहीं बिक पाई सब्जियां सड़ने गलने से बच जाती।

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