वन्यजीव अंगों की तस्करी पर नजर
सुपौल : भारत-नेपाल की सीमा पर सक्रिय तस्करों की नजर अब वन्यजीवों के अंगों पर लगी है। इसके चलते सीमा
सुपौल : भारत-नेपाल की सीमा पर सक्रिय तस्करों की नजर अब वन्यजीवों के अंगों पर लगी है। इसके चलते सीमा पर कई ऐसे तस्कर सक्रिय हो गए हैं जो वन्यजीवों के अंगों की तस्करी कर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। हालांकि कई बार एसएसबी जवानों ने वन्यजीव अंगों को बरामद करने में सफलता भी पाई है। लेकिन अक्सर तस्कर सीमा की निगेहबानी में लगे एसएसबी के जवानों की आंख में धूल झोंक कर अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे हैं। मालूम हो कि भारत-नेपाल की खुली सीमा का तस्कर काफी फायदा उठा रहे हैं।
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पकड़े गए हैं हिरण के सींग व खाल : अप्रैल में एसएसबी 45वीं बटालियन के भीमनगर बीओपी के जवानों ने चार हिरण के सींग को पकड़ा था। पिछले साल मार्च में सीमा पर एसएसबी 45 वीं बटालियन के जवानों ने रात में रानीगंज के पीलर संख्या 207/3 के पास हिरण के एक खाल और सींग को बरामद किया था। पकडे़ गये हिरण के खाल और सींग की कीमत अंतर राष्ट्रीय बाजारों में साढ़े 10 लाख रुपये आंकी गई थी। -------------------------सांप के अंगों की भी हो रही है तस्करी
सांप के अंगों की भी बड़े पैमाने पर की तस्करी की जा रही है। सांप के खाल व जहर को नेपाल के रास्ते विदेशी कंपनी के हाथों बेचा जा रहा है। मालूम हो कि विदेशों में भारतीय सांपों की खाल से बने पर्स, बेल्ट, जूते, ब्रेसलेट जैसे सामानों की काफी मांग है, जो काफी उंची कीमतों पर बेची जाती है। वहीं सांपों के जहर को निकाल कर ऐसे संस्थानों को आपूर्ति की जाती है जो दवाओं के शोध व निर्माण के साथ-साथ प्रतिरोधी दवा बनाने का काम करते हैं। कुछ देशों में स्नेक वाइन की बड़ी मांग है। इसके लिए ¨जदा सांप को पकड़ तस्करी की जा रही है।
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वैसे तो पुलिस हर तरह के तस्करी पर लगाम लगाने का काम करती है। लेकिन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में वन विभाग को पावर दिया गया है। अगर इस तरह की तस्करी की सूचना मिलती है या पकड़ में आत है तो इसकी सूचना वन विभाग को देते हैं और तत्पश्चात कार्रवाई होती है।
-मृत्युंजय चौधरी
पुलिस अधीक्षक, सुपौल