अब मोबाइल मेडिकल यूनिट है बंद
सुपौल : कभी घूम-घूमकर सुपौल जिले के दूरदराज इलाकों में मरीजों का इलाज करने वाला घुमंतू अस्पताल यानि
सुपौल : कभी घूम-घूमकर सुपौल जिले के दूरदराज इलाकों में मरीजों का इलाज करने वाला घुमंतू अस्पताल यानि नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर में बीमार पड़ा हुआ है। अगर सरकार और विभाग संवेदनशीलता दिखाए तो यह यूनिट फिर से मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकती है। मालूम हो कि वर्ष 2010 में यह मोबाइल मेडिकल यूनिट इस जिले में आई थी जिसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार एवं राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा था। इसे एक करार के तहत डा. जैन वीडियो आन व्हील, दिल्ली नामक संस्था चला रही थी। लगभग दो साल तक यह यूनिट ठीक-ठाक काम किया लेकिन उसके उपरांत इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया।
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छोटे अस्पताल की तरह है एमएमयू
सदर अस्पताल परिसर में सड़ रहे मोबाइल मेडिकल यूनिट यानि एमएमयू एक छोटे से अस्पताल की तरह है। यूनिट के अंदर ईसीजी, एक्स-रे, खून, पेशाब सहित कई तरह की पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था है। जब यह यूनिट काम कर रहा था उस समय इसमें एक डॉक्टर, एक नर्स, एक वार्ड बॉय, लैब अटेंडेंट और फार्मासिस्ट के अलावा रेडियोलॉजिस्ट कार्यरत थे। यूनिट मरीजों के घर तक जाकर उसका इलाज करती थी।
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फर्जी डॉक्टर करता था इलाज
जिले में मोबाइल मेडिकल यूनिट के बंद होने का कारण फर्जी चिकित्सक बताया जा रहा है। विभागीय लोगों की मानें तो यूनिट में काम करने वाले चिकित्सक, नर्स, लैब अटेंडेंट और फर्मासिस्ट की जब विभाग द्वारा जांच की गई तो पता चला कि चिकित्सक फर्जी है। उसके उपरांत विभाग ने संस्था का भुगतान रोक दिया। जिसके पश्चात सदर अस्पताल में यूनिट के वैन को लगा उसपर काम करने वाले सभी कर्मी अपने घर चले गए।
------------------------लोगों को मिलेगा फायदा
एक तरफ जहां जिले में चिकित्सक और कर्मियों की घोर कमी के कारण यहां के लोगों को बेहतर इलाज मयस्सर नहीं हो पाता। वहीं इस जिले में कई ऐसे इलाके हैं जहां के बीमार लोगों को अस्पताल तक जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। अगर मोबाइल मेडिकल यूनिट को फिर से जीवंत किया जाय तो दूरदराज को लोगों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी फायदा मिलेगा।