चतुर्थी चंद्र पूजन आज, साथ ही आरंभ होगा गणेश महोत्सव
संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) मिथिलांचल के प्रमुख पर्वों में एक चतुर्थी चंद्र पूजन यानी चौरचन
संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): मिथिलांचल के प्रमुख पर्वों में एक चतुर्थी चंद्र पूजन यानी चौरचन इस बार 10 सितंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन से 10 दिवसीय गणेश महोत्सव का भी शुभारंभ होगा जो 19 सितंबर यानि रविवार को अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन होगा। इस बार अमृत योग में चतुर्थी चंद्र पूजन (चौरचन) एवं गणेश पूजा आरंभ होगा तथा सर्वार्थसिद्धि योग में विश्राम होगा। अमृत योग में शुरू होकर सर्वार्थसिद्धि योग में विसर्जन होना अछ्वुत योग-संयोग को दर्शाता है। चतुर्थी चंद्र पूजन का महात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि वैसे तो शास्त्रों के अनुसार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन से मिथ्या अपवाद दोष लगता है। लेकिन सिन्ह: प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक: । मंत्र के साथ चंद्र दर्शन से दोष नहीं लगता है एवं मंत्र के फलस्वरूप समस्त प्रकार की शांति की प्राप्ति होती है। चंद्रमा को देखने के लिए मंत्र पढ़ते समय हाथ में पूरे परिवार सहित फल, दधि, पकवान आदि रखकर मंत्र के साथ चंद्र दर्शन करने पर मिथ्या दोष नहीं लगता है। इस दिन दिनभर व्रत रखकर संध्याकाल में चंद्रमा का पूजन रोहिणी सहित करना चाहिए।
----------------------------------- इस प्रकार करें पूजन
आचार्य ने बताया कि पूजन के समय शुद्ध आसन पर विराजमान होकर आचमन इत्यादि कर सर्वप्रथम गणपत्यादि पंच देवता पूजन, विष्णु पूजन कर संकल्प ले लें। संकल्प वाक्य के अंत में रोहिणी सहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्र पूजन तत्कथा श्रवणं च अहम् करिष्ये, वाक्य बोलना चाहिए। तत्पश्चात स्त्री वर्ग गौरी पूजन, दश दिक्पाल, नवग्रह पूजन कर अंत में प्रधान देवता यानी रोहिणी सहित चतुर्थी चंद्र का 16 उपचार या पनचोपचार से करके अर्घ, जल, चंदन, जनेऊ, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि के द्वारा पूजा करनी चाहिए। अंत में पूजनोपरांत भागवत पुराणों में वर्णित स्यमंतक मणि की कथा को पूरे परिवार के साथ मिलकर श्रवण करने से समस्त प्रकार के पापों एवं तापों से मुक्त होकर सभी तरह के मनोवांछित फलों को प्राप्ति होती है तथा जीवन में कभी मिथ्या दोष जैसे विघ्नों से परे हो जाते हैं। आचार्य ने आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि विनायक चतुर्थी के दिवस यदि अविधान रूप से चंद्रमा को देख लिया गया हो तो कृष्ण स्यमंतक मणि की कथा श्रवण करने से मिथ्या दोष नहीं लगता है।
----------------------------------- विभिन्न रंगों के गणेश आराधना से अलग-अलग फलों की होती है प्राप्ति
आचार्य ने बताया कि पीले रंग की कांति वाले गणेश पूजन से शत्रुओं से रक्षा होती है, लाल रंग के गणेश आराधना करने पर शक्ति की प्राप्ति होती है, हरे रंग के गणेश पूजन से धन की प्राप्ति एवं दारिद्र का नाश होता है, सफेद रंग की गणेश मूर्ति की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। तथा नित्य निरंतर गणेश चितन से सभी प्रकार के कार्य सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि गणेशजी के पूजन में दूर्वा एवं मोदक लड्डू अवश्य प्रदान करनी चाहिए।
------------------------------------ पूजन का शुभ समय
सायं 5:00 बजे से रात्रि के 9:00 बजे तक संकल्प कर पूजन करने से अमृतत्व की प्राप्ति होगी।