रैयत किसान परेशान, गैर रैयत को मिल रहा अनुदान
-जो अपनी जमीन में खुद से कर रहे खेती उन्हें नहीं मिल रहा फसल क्षति का लाभ संवाद सूत्र सराय
-जो अपनी जमीन में खुद से कर रहे खेती उन्हें नहीं मिल रहा फसल क्षति का लाभ
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : पिछले वर्ष धान की फसल को हुई क्षति के लिए सरकार ने किसानों को फसल क्षति सहायता राशि देने की घोषणा की थी। घोषणा के अनुसार रैयत किसान जिनके पास अपनी जमीन है उन्हें भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र लगाकर आवेदन करना था और जो गैर रैयत किसान हैं, उन्हें सिर्फ यह जानकारी देनी थी कि कितने एकड़ में खेती की है। रैयत एवं गैर रैयत किसानों को आनलाइन आवेदन करना था और किसानों ने ऐसा किया भी। किसानों द्वारा दिए गए आवेदन का सत्यापन किसान सलाहकारों को स्थल पर जाकर करना था। स्थल निरीक्षण के बाद किसान सलाहकार की अनुशंसा पर संबंधित किसानों को फसल सहायता राशि दी जाती है।
सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में 12 पंचायतों में किसान खेती करते हैं। कोसी नदी से प्रभावित पंचायत ढोली, बनैनियां तथा लौकहा में किसानों को बार-बार भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जानकारी अनुसार पिछले वर्ष धान फसल सहायता राशि के लिए आनलाइन आवेदन करने वालों में रैयत किसानों से गैर रैयत किसानों की संख्या अधिक रही है। गैर रैयत किसान फसल सहायता राशि लेने में भी सफल भी रहे जबकि प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश रैयत किसान जो अपनी जमीन में खेती करते हैं अब तक उस लाभ से वंचित हैं। जानकारी देते किसानों ने बताया कि कई ऐसे लोग हैं जिनको खेती से कोई सरोकार नहीं है। वैसे लोग बड़े-बड़े व्यापार करते हैं तो कुछ दिल्ली-पंजाब में रहकर कमाई करते हैं। कुछ ऐसे लोग हैं जो खेती के बारे में जानते भी नहीं है। वैसे लोगों के खाते में फसल सहायता की मोटी रकम आ चुकी है जबकि जिनकी फसल बर्बाद हुई वह अभी तक इंतजार में किसान सलाहकार के चक्कर लगा रहे हैं।
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जिसने लगाई पूंजी उसको मिला लाभ
क्षेत्र के कई जगहों पर अक्सर किसानों द्वारा यह बातें कही जाती है कि फसल सहायता राशि लेने के लिए जिसने पूंजी लगाई उसको लाभ मिल गया। सहायता राशि के लिए पूंजी किस रूप में लगाई गई इस बात को किसान कहने से कतरा रहे हैं। किसानों का कहना है कि भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र बनाने में काफी कठिनाई होती है। एक बार भू स्वामित्व बनाने के बाद वह एक वर्ष तक मान्य होता है। ऐसे में कई लोगों का भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र एक्सपायर कर गया था उसी चक्कर में कई किसान फसल सहायता राशि लेने से वंचित रह गए। किसानों ने बताया कि जमीन रहने के बाद भी भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र नहीं बना सके। पहले से यह जानकारी स्पष्ट रूप में नहीं दी गई थी कि बिना भू स्वामित्व प्रमाण पत्र का फसल सहायता लाभ नहीं मिलेगा।
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सड़क पर उतर सकते हैं किसान
फसल सहायता राशि दिलाने के नाम पर किसान सलाहकारों द्वारा कथित रूप से की गई धांधली के खिलाफ अब किसान गोलबंद हो रहे हैं। किसान किसी भी समय सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। जानकारी देते किसानों ने कहा कि किसान सलाहकारों द्वारा बार-बार राशि आने का भरोसा दिया जा रहा था जिस कारण वे चुप थे। लंबा समय बीतने के बाद भी उन सब को राशि नहीं मिल रही है। ऐसे किसानों का कहना है कि जब जांच होगी तो प्रखंड क्षेत्र में बहुत बड़ी धांधली सामने आएगी।
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बोले प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी
इस संबंध में पूछने पर प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी जयशंकर झा ने कहा कि विभिन्न गड़बड़ियों के कारण रैयत किसानों के खाते में राशि नहीं जा रही है। गैर रैयत किसानों को चुकि कोई साक्ष्य नहीं देना था इस कारण उनके खाते में राशि चली गई।