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विभागों में पड़ी हैं रिक्तियां, प्रभावित हो रहा कार्य, बाहर बेरोजगारों की फौज

जागरण संवाददाता सुपौल अजीब सी विडंबना चल रही है। सरकारी दफ्तरों में कई विभाग ऐसे हैं

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 12:08 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 12:08 AM (IST)
विभागों में पड़ी हैं रिक्तियां, प्रभावित हो रहा कार्य, बाहर बेरोजगारों की फौज
विभागों में पड़ी हैं रिक्तियां, प्रभावित हो रहा कार्य, बाहर बेरोजगारों की फौज

जागरण संवाददाता, सुपौल: अजीब सी विडंबना चल रही है। सरकारी दफ्तरों में कई विभाग ऐसे हैं जहां कर्मियों की घोर कमी है। लेकिन बाहर बेरोजगारों की फौज रोजगार के जद्दोजहद में लगी है। स्वास्थ्य हो , शिक्षा हो,प्रशासनिक महकमा हो या फिर अन्य संबंधित विभाग शायद ही कोई ऐसी जगह जहां कर्मियों का टोटा नहीं। बड़े पैमाने पर स्कूल खोले गए, मध्य विद्यालयों को उच्च विद्यालयों में, उच्च विद्यालयों को प्लस टू विद्यालयों में, प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालयों में उत्क्रमित कर दिया गया। लेकिन शिक्षकों की कमी बरकरार रही। जिले में प्लस टू विद्यालयों की तो स्थिति है कि शायद ही कोई प्लस टू विद्यालय है जहां शिक्षक हों। वैसे उच्च विद्यालयों में आज भी विषयवार शिक्षकों की कमी बरकरार है। वैसे विद्यालयों की कौन कहे शिक्षा विभाग में जहां अधिकारी बैठे होते हैं वहां का सिस्टम कर्मियों के घोर अभाव से जूझ रहा होता है। व्यवस्था चलाने के लिए जितने डीपीओ चाहिए वह यहां उपलब्ध नहीं है। कई विभाग तो वर्षों से प्रभार में ही चल रहा है। अस्पतालों के हालात हैं कि कई वर्षों से चिकित्सक समेत पारा मेडिकल स्टाफ,नर्स के पद रिक्त चल रहे हैं। अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में तो एक कर्मी की उपस्थिति भी संभव नहीं हो पाती है। सदर अस्पताल के हालात हैं कि यहां अपना ड्रेसर भी नहीं है और इमरजेंसी में उधार का स्टाफ ड्रेसर का काम कर रहा होता है। जिले में ही बेरोजगारों के निबंधन की बात करें तो नियोजनालय में 16572 बेरोजगार निबंधित हैं।

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कर्मियों की कमी से जूझ रहा खुद सांख्यिकी विभाग

जिला सांख्यिकी विभाग जहां रिक्तियों का आंकड़ा और हिसाब किताब होना चाहिए वह खुद कर्मियों और अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है। यहां सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी के दो पद सृजित हैं तो एक पदस्थापित हैं। अवर सांख्यिकी पदाधिकारी के दो सृजित पद के विरुद्ध् एक, लिपिक दो के विरुद्ध एक, परिचारी दो के विरुद्ध एक, चालक एक वह भी संविदा पर। प्रखंडों की हालत ऐसी कि 11 प्रखंडों में महज तीन सांख्यिकी पदाधिकारी से काम चलाया जा रहा है।

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75 लिपिकों की कमी झेल रहा समाहरणालय संवर्ग

जहां से जिले का संपूर्ण कार्य निष्पादित होता है वहां कर्मियों का टोटा बरकरार है। समाहरणालय संवर्ग के तृतीय वर्ग यानी समूह ग की बात करें तो 75 रिक्तियां मौजूद हैं। समूह घ में आज भी कुल 60 रिक्तियां हैं। पदाधिकारियों के कई पद तो वर्षों से प्रभार में ही चल रहा है।

यहीं बाल विकास परियोजना की बात कर लें तो कुल 11 परियोजना महज छह सीडीपीओ के भरोसे चल रही है।


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