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एक चिकित्सक के भरोसे चलता अस्पताल, पशुओं का नहीं हो पाता समुचित इलाज

संवाद सूत्र त्रिवेणीगंज (सुपौल) नगर परिषद के अनुमंडल कार्यालय के सामने प्रथम वर्गीय पशु चिकित्स

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 05:27 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 05:27 PM (IST)
एक चिकित्सक के भरोसे चलता अस्पताल, पशुओं का नहीं हो पाता समुचित इलाज
एक चिकित्सक के भरोसे चलता अस्पताल, पशुओं का नहीं हो पाता समुचित इलाज

संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): नगर परिषद के अनुमंडल कार्यालय के सामने प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय है, लेकिन वह बदहाली की स्थिति में है। यहां न तो चिकित्सक हैं, न फर्मासिस्ट, न ही कर्मी और दवा। सिर्फ एक पशु चिकित्सक के भरोसे अस्पताल का काम-काज चल रहा है। जबकि नगर परिषद व प्रखंड क्षेत्र में लोग कृषि कार्य के साथ ही बड़े पैमाने पर पशुपालन भी करते हैं लेकिन पशुपालकों को सरकारी स्तर पर दी जाने वाली सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। बता दें कि प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय संसाधनों के अभाव में बदहाली के कगार पर पहुंच गया है। यहां पर्याप्त मात्रा में दवाओं की उपलब्धता नहीं रहती है। यह चिकित्सालय महज एक चिकित्सक के भरोसे ही चल रहा है। यहां पशुधन सहायक, रात्रि प्रहरी, डाटा इंट्री ऑपरेटर एवं फार्मासिस्ट का पद वर्षों से रिक्त पड़ा है। एक डाटा इंट्री आपरेटर सुपौल से सप्ताह में दो बार पशु चिकित्सालय आते हैं वह भी अपना कार्य कर चले जाते हैं। देखरेख के अभाव में चिकित्सालय भवन खंडहर का रूप ले रहा है। साथ ही अस्पताल कैंपस अतिक्रमण के चपेट में है। तेज नारायण यादव, दिनेश यादव ,उपेंद्र यादव, उपेन यादव, जयकिशोर यादव आदि पशुपालकों ने बताया कि सरकारी पशु चिकित्सालय का समुचित लाभ यहां के पशुपालकों को नहीं मिल पाता है। दवा की कमी के कारण हमलोगों को स्थानीय सहित नगर परिषद के झोला छाप पशु चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ता है। पहले यहां पशु टीकाकरण भी होता था लेकिन अब वह भी नहीं हो रहा है।

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कहते हैं पशु चिकित्सा पदाधिकारी

प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय में कार्यरत डा. राकेश रंजन ने बताया कि चिकित्सालय में कुल 24 तरह की दवाओं की उपलब्धता रहनी चाहिए। लेकिन अभी 17 तरह की दवा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई दवा समाप्त हो जाती है तो उसके लिए अगले वित्तीय वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। क्योंकि एक साल में मात्र दो बार ही दवा मिलती है जिस कारण दवा खत्म होने पर इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में पशुपालकों को समय पर दवा नहीं मिल पाती है। जानकारी देते हुए उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना महामारी को लेकर लाकडाउन से पहले पशु टीकाकरण का कार्य चलता था लेकिन अभी पशु टीकाकरण का कार्य बंद है।


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