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बूथों पर फिर दिखी आधी आबादी की धमक

एक बार फिर आधी आबादी की धमक बूथों पर देखी गई । गांव की सरकार चुनने के लिए इनमें गजब का उत्साह देखने को मिला। स्थिति यह रही कि अधिकांश बूथों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की लंबी कतार थी ।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 06:32 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 06:35 PM (IST)
बूथों पर फिर दिखी आधी आबादी की धमक
बूथों पर फिर दिखी आधी आबादी की धमक

संवाद सूत्र, किसनपुर (सुपौल)। एक बार फिर आधी आबादी की धमक बूथों पर देखी गई । गांव की सरकार चुनने के लिए इनमें गजब का उत्साह देखने को मिला। स्थिति यह रही कि अधिकांश बूथों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की लंबी कतार थी । कई बुजुर्ग महिलाओं के साथ साथ घुंघट की झिझक छोड़ कर बहुएं भी लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भूमिका निभाई।

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सुबह सात बजे मतदान की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही मतदाताओं की कतार बूथों पर लगने लगी। इसमें सर्वाधिक संख्या महिलाओं की देखने की मिल रही थी । हालांकि दोपहर में महिलाओं की संख्या बूथों पर कम हुई लेकिन जैसे ही फिर शाम का समय हुआ महिला मतदाताओं की कतार बढ़ने लगी। खैर यह तो मतदान समाप्ति उपरांत ही पता चल पाएगा कि महिला और पुरुष के मतदाताओं का अनुपात क्या रहा परंतु बूथों पर महिलाओं की संख्या देख इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता एक बार फिर गांव की सरकार चुनने में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के अपेक्षा अधिक रहेगी । इधर मतदान को लेकर लोगों में उत्साह देखते बन रहा था। नए युवा मतदाता महिला पुरुषों के साथ-साथ दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाता भी अपने मतदान को लेकर जागरूक दिखे । मतदान को लेकर सभी केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें लगी थी। जिसमें महिलाओं की तादाद अच्छी खासी थी। दिन ज्यों ज्यों दिन ढलता गया कतारें लंबी होती गई। वोट देने आए अधिकांश महिलाओं के जेहन में गांव की अच्छी सरकार बनाने का जुनून था । उनका कहना था कि मतदान से ही अच्छे प्रतिनिधि चुने जाते हैं तो ऐसे में हम अपनी भूमिका क्यों ना निभाएं। हम सब अच्छे प्रतिनिधि चुनेंगे तभी तो पंचायत व गांव का समुचित विकास होगा। कुछ ऐसी ही बातें एक दूसरी महिला भी कर रही थी बोली कि जनप्रतिनिधियों को चुनना उनका अधिकार है तो वे अपने इस अधिकार को बेकार नहीं जाने देगी । इसलिए सुबह ही आकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया तथा गांव की सरकार बनाने में अपनी भूमिका निभाई। उनलोगों ने तो पहले ही सोच लिया था कि मतदान बाद ही कोई दूसरा काम करेंगे। आखिर यह वक्त तो सब दिन आता नहीं। पांच वर्ष का सवाल है मत के माध्यम से ही गांव की अच्छी सरकार चुनी जाएगी ताकि पंचायत का विकास हो सके।


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