बाढ़ आश्रय स्थल में चल रहा नदी थाना
-तीन साल पहले हुए था उद्घाटन नहीं है अपना भवन -बड़हरा में अवस्थित है जिले का एकमात्र यह नदी थाना -बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिल रहा आश्रय स्थल का लाभ -थाना के खुलने से कोसी नदी के रास्ते आपराधिक गतिविधियां हुई है कम ------------------- संस
मरौना (सुपौल)। जिले का एकमात्र नदी थाना प्रखंड के बड़हरा में अवस्थित है। तीन साल पहले इसका उद्घाटन हुआ था जो अपना भवन नहीं होने के कारण बाढ़ आश्रय स्थल में चल रहा है। बाढ़ आश्रय स्थल में होने के कारण जहां कर्मियों को काफी परेशानी होती है वहीं जिस उद्देश्य से बाढ़ आश्रय स्थल बनाया गया था वह भी सफल नहीं हो पा रहा है।
एक ही कमरे में हाजत और मालखाना
आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद रखने के लिए यहां हाजत नहीं है। हाजत या मालखाना जो कह लें एक ही कमरे में संचालित होता है। इससे हाजत में रखे जाने वाले लोग भी परेशान होते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आमलोगों की सुविधा के लिए बनाए गए इस स्थल पर थाना का कब्जा होने के कारण बाढ़ पीड़ितों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती है।
आठ साल बाद हुआ था उद्घाटन
नदी थाना खोले जाने की घोषणा के आठ वर्षों बाद 2017 में इसका उद्घाटन हुआ। नदी थाना खुलने बाद कोसी के रास्ते अवैध कारोबार करने वाले अपराधियों की गतिविधियों में कमी आई। कोसी नदी में थाना खोलने के लिए 2009 में ही कवायद शुरू हुई। 22 जनवरी 2010 को गृह विभाग से मंजूरी मिली और 7 फरवरी 2017 को उद्घाटन हुआ। इस थाना क्षेत्र अंतर्गत मरौना थाना क्षेत्र के रसुआर, कदमाहा, कटैया, सिसौनी, गोटारही, मनोहरपट्टी, जोबहा, घोघड़िया, परिकोच, मंगा सिहौल, मेनहा, खुखनाहा और पंचगछिया शामिल हैं।
जर्जर हो चुका है भवन
बाढ़ आश्रय स्थल का भवन जर्जर हो चुका है। फर्श टूटने और दीवार का प्लास्टर झड़ने लगा है। छत से भी कहीं-कहीं पानी टपकता है। शौचालय की स्थिति भी ठीक नहीं है। चापाकल के प्लास्टर भी जगह-जगह झड़े हुए हैं। ऐसे में कर्मियों की परेशानी लाजिमी है जो वे झेल रहे हैं।