14 वर्षों से बंद पड़े 62 विद्यालयों में भी अब बच्चों को मिलेगा मध्याह्न भोजन
डिजिटल युग में इंटरनेट टेक्नोलॉजी और नेट बैंकिग की सुविधा होने से लोगों को पैसे संबंधी लेनदेन में जितनी आसानी हो रही है उससे ज्यादा लोग इसका शिकार भी बन रहे हैं। छातापुर प्रखंड क्षेत्र के लक्ष्मीनियां पंचायत वार्ड नंबर 10 के निवासी विभूति कुमार झा पेशे से एक शिक्षक हैं और उनका बैंक खाता बलुआ बाजार स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में है। उनके खाते में कुल 45 हजार रुपये जमा था।
-लोक शिकायत पदाधिकारी ने डीपीओ पर की कार्रवाई तो चार दिन बाद ही निकाल दिया आदेश
-ऐसे विद्यालय के अध्ययनरत हजारों बच्चों को आज तक नहीं मिल सका था मध्याह्न भोजन का स्वाद
-डीपीओ एमडीएम ने सात दिनों के अंदर सभी ऐसे विद्यालयों में मध्याह्न भोजन चलाने का दिया आदेश
जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले के 62 सरकारी विद्यालयों में पिछले 14 वर्षों से मध्याह्न भोजन का संचालन नहीं करने के मामले में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा डीपीओ एमडीएम के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश पारित किए जाने के साथ ही डीपीओ एमडीएम ने सभी बंद 62 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन संचालित करने का आदेश दे दिया है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अशोक कुमार झा ने 4 जून 2019 को भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह द्वारा दाखिल परिवाद की सुनवाई के उपरान्त 10 अगस्त 20019 को अंतिम आदेश पारित कर बच्चों को मध्याह्न भोजन लाभ से वंचित करने के मामले में मध्याह्न भोजन के पदाधिकारी एवं साधनसेवी के विरुद्ध जिला पदाधिकारी सुपौल से कार्रवाई करने की अनुशांसा की। उच्चतम न्यायालय एवं विभागीय आदेश का अनुपालन नहीं कर एमडीएम के पदाधिकारियों ने कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही एवं उदासीनता बरती है। वहीं कार्रवाई की गाज गिरते ही डीपीओ एमडीएम प्रेमरंजन ने 14 अगस्त 2019 को एक आदेश जारी कर जिले के सभी बीईओ एवं मध्याह्न भोजन साधनसोवी को सात दिनों के अंदर ऐसे सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन चालू करने का आदेश दिया है।
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जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का आदेश
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने 10 अगस्त को अंतिम आदेश पारित करते हुए जिला पदाधिकारी सुपौल से अनुरोध किया है कि सभी 62 विद्यालयों में बंद पड़े मध्याह्न भोजन योजना को अविलंब संचालित करवाया जाए तथा संबंधित विद्यालय के प्रबंध समिति मध्याह्न भोजन योजना के पदाधिकारी एवं कर्मी के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित किया जाए। आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग बिहार पटना के द्वारा स्पष्ट आदेश दिया गया है कि 31 जुलाई 2019 तक जिले के सभी भूमिहीन, भवनहीन, खुले आसमान के नीचे, पेड़ के नीचे एवं सामुदायिक भवन में चल रहे विद्यालय को निकट के विद्यालय में शिफ्ट कर दिया जाए। किसी भी स्थिति में किसी भी विद्यालय में मध्याह्न भोजन बंद नहीं होना चाहिए लेकिन जिला मध्याह्न भोजन योजना पदाधिकारी के द्वारा सरकार एवं उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर जिले के 62 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन नहीं चलाया जा रहा है। पदाधिकारियों का यह कृत कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही एवं उदासीनता को दर्शाता है। साथ ही छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन के लाभ से वंचित भी करता है। इसीलिए मध्याह्न भोजन योजना के सभी पदाधिकारी एवं कर्मी कार्रवाई किए जाने के पात्र हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि वैसे 62 विद्यालय जहां मध्याह्न भोजन नहीं चल रहा है उसे अविलंब विभागीय निदेश के आलोक में प्ररंभ करवाया जाए एवं अब तक मध्याह्न भोजन योजना नहीं चलाने के लिए मध्याह्न भोजन योजना के पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाए ताकि भविष्य में किसी भी स्थिति में किसी विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना में व्यवधान न हो।
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डीपीओ एमडीएम का आदेश
डीपीओ एमडीएम प्रेमरंजन ने अपने कार्यालय पत्रांक 858 दिनांक 14 अगस्त 2019 के द्वारा जिले के सभी बीईओ एवं प्रखंड साधनसेवी एमडीएम को पत्र लिखकर मध्याह्न भोजन योजना से वंचित सभी प्राथमिक, मध्य, संस्कृत एवं मदरसा जहां वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई होती है में सात दिनों के अंदर मध्याह्न भोजन चलाने का आदेश जारी किया है। डीपीओ ने जिले के 62 विद्यालयों को चिह्नित किया है जहां मध्याह्न भोजन प्रारंभ नहीं किया गया है। इन विद्यालयों में 55 सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा एवं संस्कृत विद्यालय है जबकि सात सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं। डीपीओ ने लिखे पत्र में निर्देश दिया है कि पदाधिकारी अपने स्तर से पहल करते हुए अपने क्षेत्राधीन विद्यालयों में मध्याह्न भोजन प्रारंभ करना सुनिश्चित करें। विद्यालय में आवश्यक आधारभूत संरचना की भी व्यवस्था करें। किसी भी स्थिति में वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई करने वाले सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना बंद नहीं हो। अगर किसी विद्यालय में मध्याह्न भोजन संचालित नहीं है तो इसी सूचना अविलंब देने का निर्देश दिया गया ताकि उस विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना संचालित किया जा सके।
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सुनवाई के दौरान डीपीओ के प्रतिवेदन में आतर रही भिन्नता
जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में परिवाद दाखिल करने के बाद पांच तिथियों में सुनवाई हुई। 26 जून, 12 जुलाई, 26 जुलाई, 2 अगस्त और 10 अगस्त 2019 की सुनवाई के दौरान लोक प्राधिकार डीपीओ एमडीएम ने जिले में बंद मध्याह्न भोजन योजना पर अपना तर्क देते रहे। उनके प्रत्येक सुनवाई में अपने ही प्रतिवेदन में काफी भिन्नता नजर आई। डीपीओ एमडीएम ने अपने पत्रांक 685 दिनांक 27 जून 2019 के द्वारा सुनवाई में प्रतिवेदन समर्पित किया कि सुपौल जिला में 1031 प्राथमिक विद्यालय, 619 मध्य विद्यालय, 40 संस्कृत विद्यालय एवं 22 मदरसा कुल 1712 विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना चल रही है। वैसे संस्कृत, मदरसा जहां भवन, किचेन शेड, शौचालय, चापाकल आदि नहीं है तथा जहां विद्यालय शिक्षा समिति का गठन नहीं है वैसे विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना संचालित नहीं किया गया है। पुन: डीपीओ ने अपने कार्यालय पत्रांक 760 दिनांक 11 जुलाई के द्वारा सुनवाई में प्रतिवेदन समर्पित किया कि विभागीय निदेश के आलोक में मध्याह्न भोजन योजना संचालित करना संभव नहीं है। मूलभूत सुविधाविहीन विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना चलाने हेतु वरीय पदाधिकारी से मार्गदर्शन प्राप्त किया जा रहा है। पुन: तीसरी सुनवाई में डीपीओ ने अपने पत्रांक 797 दिनांक 26 जुलाई 2019 को एक प्रतिवेदन समर्पित किया कि जिले में कुल 1772 विद्यालय है जिसमें 60 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन नहीं चल रहा है। पुन: लोक प्राधिकार सह डीपीओ एमडीएम ने अपने पत्रांक 820 दिनांक 2 अगस्त 2019 के द्वारा सुनवाई में प्रतिवेदन समर्पित किया कि राशि अथवा चावल का अपव्यय नहीं हो इसके लिए विद्यालय का स्थलीय जांच के उपरान्त ही बंद पड़े विद्यालयों में मध्याह्न भोजन चालू किया जाएगा तथा मध्याह्न भोजन चलाने के लिए कम से कम तीन महीने का समय दिए जाने का अनुरोध किया। अंतिम सुनवाई के दिन डीपीओ एमडीएम ने अपने पत्रांक 841 दिनांक 9 अगस्त 2019 के द्वारा प्रतिवेदित किया कि जिले में 1774 प्रारंभिक विद्यालय अवस्थित है जिसमें से 1712 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना चल रही है शेष 62 विद्यालयों में आधारभूत संरचना के अभाव तथा प्रबंध समिति भंग रहने के कारण मध्याह्न भोजन नहीं चल रहा है। पुन: उन्होंने इस कार्य के लिए तीन महीने का समय मांगा। लेकिन लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने उनके सभी तर्क को खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय एवं विभागीय आदेश के आलोक में सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन चलाने का आदेश दिया।