अभियान बाजार के अहाते से:::::कस्बाई मानसिकता से उठे उपर, पर नहीं हो पाए सुव्यवस्थित
फोटो फाइल नंबर-7एसयूपी-8,9,10 जागरण संवाददाता, सुपौल: विकास की होड़ में सुपौल भी कस्बाई मानसिकता से
फोटो फाइल नंबर-7एसयूपी-8,9,10
जागरण संवाददाता, सुपौल: विकास की होड़ में सुपौल भी कस्बाई मानसिकता से उपर उठ कर शहरीकरण की ओर अग्रसर हुआ। शहर की तर्ज पर यहां का बाजार भी बढ़ा। पर विडंबना है कि सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं रहने के कारण बाजार का स्वरूप आज भी कस्बाई जैसा ही प्रतीत होता है। अन्य बड़े शहरों की तरह यहां मार्के¨टग कॉम्पलेक्स की व्यवस्था नहीं है। जहां फुटपाथी व फुटकर व्यवसायियों को व्यवस्थित कर दिया जाता। आज भी यहां सड़क किनारे फुटपाथ पर दुकानें सजती हैं, सब्जी, फल आदि का कारोबार ठेले के बलबूते चलता है। ठेला भी सड़क किनारे या सड़क पर ही खड़ा कर कारोबार किया जाता है। नतीजा होता है कि शहरवासियों को जाम की समस्या से रूबरू होना पड़ता है। प्रशासनिक स्तर पर कई प्रयास के बावजूद बाजार की सूरत और सीरत नहीं बदल सकी।
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फुटपाथ पर कारोबार, सड़क पर ठेला
बाजार की सबसे बड़ी समस्या मार्केट कॉम्पलेक्स नहीं होना है। शहर में एक मात्र गुदरी बाजार में मार्केट कॉम्पलेक्स बना है जहां मात्र दर्जन भर दुकानदार व्यवस्थित हुए हैं। शेष फुटकर व फुटपाथी दुकानदारों को सड़क और फुटपाथ का ही सहारा है। फुटपाथ पर भी जगह कम पड़ जाने के बाद अब ठेला संस्कृति ने बाजार पर अपना छाप छोड़ना शुरू कर दिया है। ठेला भी शहर में घूम-घूम कर नहीं बल्कि निश्चित जगह पर खड़ा रह कर अस्थाई अतिक्रमण को बढ़ावा देता दिख रहा है। फुटपाथ पर भी कब्जा और सड़क पर भी ठेला। वाहन चालकों को तो परेशानी होती ही है आम राहगीरों की तो जैसे पूछ ही नहीं रही।
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नप का फरमान भी नहीं आ सका काम
बाजार व्यवस्थित हो, जाम की समस्या का निदान निकले इसको लेकर कुछ दिन पूर्व नगरपरिषद ने पहल की थी। नगरपरिषद ने पिपरा रोड में सरकारी गोदाम के समीप वे¨डग जोन में फुटकर दुकानदारों, सब्जी व फल विक्रेताओं को व्यवस्थित होने का फरमान सुनाया था। लेकिन नप के फरमान के विरुद्ध फुटकर दुकानदार व फल-सब्जी विक्रेता आंदोलित हो उठे और उन्होंने फरमान मानने से इनकार कर दिया। इसको लेकर नगरपरिषद में स्थानीय गणमान्य व फुटकार दुकानदार फल-सब्जी विक्रेता आदि की एक बैठक की गई और कहा गया कि वे लोग वे¨डग जोन में व्यवस्थित हो जाए। पर फलाफल नहीं निकल पाया और आज भी स्थिति जस की तस है।
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व्यापारियों का अपना रोना तो फुटपाथियों का अपना अलाप
सुपौल बाजार लगभग छह किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। स्टेशन चौक, महावीर चौक, मल्लिक चौक, हुसैन चौक, लोहियानगर चौक, उत्तर हठखोला रोड, दक्षिण हठखोला रोड, स्टेशन रोड आदि शहर का मुख्य बाजार है। शहर के बाजार के व्यापारियों को फुटपाथी दुकानदारों से परेशानी है। फुटपाथी दुकानदार उनके ही दुकान के आगे दुकान लगा कर कारोबार करते हैं। व्यापारियों का कहना है कि अगर फुटपाथी दुकानदारों को शहर में किसी एक जगह व्यवस्थित कर दिया जाए तो शहर भी सुन्दर लगेगा और जाम की समस्या का निदान भी हो जाएगा। वहीं पवऊुटपाथी दुकानदारों का कहना है कि उन लोगों को जहां व्यवस्थित करने की बात कही जा रही है वह शहर से हट कर है। वहां तक ग्राहकों को पहुंचने में परेशानी होगी। जिससे उनका व्यवसाय ठप हो जाएगा।
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काफी पुराना बाजार है सुपौल
सुपौल बाजार काफी पुराना बाजार है। बूढ़े-बुजुर्ग कहते हैं कि बहुत पहले जब आवागमन के साधन भी उपलब्ध नहीं थे तब भी इस बाजार से व्यापार होता था। किसान और व्यापारी अपना उत्पाद और सामान बैलगाड़ी पर लाद कर बाजार लाते थे और व्यापार करते थे। खासकर पाट, मूंग, मखाना आदि तो पहले भी यहां से अन्य जगहों पर भेजा जाता रहा है। जहां तक बाजार के विकास की बात है तो अगर बाजार विकास होता है तो शहर की सुन्दरता बढ़ेगी और कई समस्याओं का निदान हो जाएगा।
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-जागरण सुझाव
शहर सुन्दर लगे, दुकानें व्यवस्थित हो, फुटपाथ पर अतिकम्रमण न दिखे, जाम की समस्या का निदान निकले आदि को लेकर बाजार का विकास जरूरी है। बाजार के विकास के लिए जागरण ने अपने सुझाव दिए हैं।
-नगरपरिषद क्षेत्र में एक बड़ा और मल्टी मार्केट कॉम्पलेक्स बना कर फुटपाथी दुकानदारों को व्यवस्थित किया जाए।
-मीट-मछली के बाजार को शहर में एक जगह व्यवस्थित किया जाए।
-फल और सब्जी मंडी के लिए जगह चिन्हित कर उन्हें एक जगह व्यवस्थित किया जाए।
-सड़क पर ठेला लगा कर कारोबार करने वालों पर नकेल कसी जाए।
-सड़क या सड़क किनारे चार चक्के की गाड़ियां खड़ी कर जाम की स्थिति उत्पन्न करने वालों पर जुर्माना किया जाए।
-शहर में पार्किग की व्यवस्था की जाए, ताकि यत्र-तत्र गाड़ियां न खड़ी की जाए।
-बाजार को सुन्दर और व्यवस्थित करने के लिए प्रशासनिक पहल और सख्ती की भी आवश्यकता है।