जुगाड़ से बनाई ऑटोमैटिक तकनीक, आठ चरण में सैनिटाइज हो रहे लोग
हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा कहावत तो आपने सुनी होगी।
पटना : 'हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा' कहावत तो आपने सुनी होगी। इसे अपनी जुगाड़ तकनीक से हॉकी के पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी और अकाउंटेंट जनरल (एजी) ऑफिस पटना में कार्यरत योगेश कुमार ने सच साबित कर दिखाया है। चंद हजार रुपये में उन्होंने राजधानी के पटेल नगर (रवि चौक) स्थित अपने अपार्टमेंट में आने वाले हर व्यक्ति व सामग्री को आठ स्तर पर ऑटोमैटिक सैनिटाइज करने की व्यवस्था कर दी है। योगेश के अनुसार पूरे सिस्टम को तैयार करने में 15 हजार रुपये खर्च आया है। इलेक्ट्रॉनिक से बीटेक कर रही बेटी आकांक्षा ने भी तकनीकी सहायता की।
पहला चरण : गेट से प्रवेश करते ही पैर से नल की रस्सी को थोड़ा खींचते ही पानी गिरना शुरू हो जाता है। सेंसर द्वारा हैंडवाश लिक्विड स्वत: हाथ में आ जाता है। पैर धोने की भी व्यवस्था है। नल को 100 रुपये में कबाड़ से लाए झरने से तैयार किया गया है। दूसरा चरण : गेट पर ही पेंट के डिब्बे से बने बॉक्स में फिटकरी, सोडा, नमक, सिरका आदि के घोल में सब्जी और फल को डालकर क्लॉक व एंटी क्लॉकवाइज घुमाया जाता है। इससे चंद मिनट में ही सब्जी और फल सैनिटाइज हो जाते हैं। सब्जी के लिए 500 रुपये खर्च कर सैनिटाइजर बॉक्स बनाया गया है। तीसरा चरण : सीढ़ी के पास आते ही वैक्यूम क्लीनर से तैयार सैनिटाइजर टनल सक्रिय हो जाती है। इसे सेंसर से कंट्रोल किया जाता है। 20 सेकेंड में राउंड वाइज घुमने पर शरीर का हर हिस्सा सैनिटाइज हो जाता है। सेंसर सहित इसे तैयार करने में दो हजार रुपये खर्च आए हैं। : चौथा चरण :
सैनिटाइजर टनल के बगल में ही अल्ट्रा वॉयलेट रे से युक्त बॉक्स रखा है। इसमें रखी गई सामग्री अल्ट्रा वॉयलेंट रे (पराबैगनी किरणें) से सैनिटाइज हो जाती है। बॉक्स की खासियत है कि बंद होने के बाद ही इससे रे निकलती है। पांचवा चरण : फ्लैट में प्रवेश से पहले जूते और चप्पल को भी सैनिटाइज करने की व्यवस्था है। रैक में जूते-चप्पल डालते ही पांच से 10 सेंकेंड में राउंड वाइज स्प्रे से जूते-चप्पल सैनिटाइज हो जाते हैं। छठा चरण : फ्लैट के दरवाजे पर आते ही सेंसर सक्रिय हो जाता है। लाइट और कॉलबेल स्वत: सक्रिय हो जाती है। कैमरे से आगंतुक का चेहरा मोबाइल स्क्रीन पर आ जाता है। इसके बाद थर्मल स्कैनर की ओर इशारा प्राप्त होता है। सातवां चरण : थर्मल स्कैनर पर 30 सेंकेंड तक अंगुली रखने के बाद शरीर का तापमान स्क्रीन पर अंकित हो जाता है। मानक से अधिक तापमान रहने पर दरवाजा नहीं खुलेगा। आठवां चरण : घर में प्रवेश करने के बाद सेंसर युक्त टोपी पहनाई जाती है। यह दो व्यक्ति के बीच एक मीटर से कम डिस्टेंस होने पर सक्रिय हो जाती है। सेंसर आधारित बजर बजने लगता है।