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मां के छठवें स्वरूप कात्यायनी की हुई पूजा, जयकारों से गूंज उठे मंदिर

नवरात्र के छठवें दिन मंदिरों में देवी भक्तों ने मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। गुरुवार की सुबह से ही मंदिरों में पूरे दिन पूजा अर्चना को श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:57 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:57 PM (IST)
मां के छठवें स्वरूप कात्यायनी की हुई पूजा, जयकारों से गूंज उठे मंदिर
मां के छठवें स्वरूप कात्यायनी की हुई पूजा, जयकारों से गूंज उठे मंदिर

सिवान । नवरात्र के छठवें दिन मंदिरों में देवी भक्तों ने मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। गुरुवार की सुबह से ही मंदिरों में पूरे दिन पूजा अर्चना को श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही। सुबह 4 बजे से ही मंदिरों में भक्तों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। मां के दिव्य दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को इंतजार भी करना पड़ा। मंदिरों में भजन-कीर्तन के जरिए मां को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। साथ ही साथ भजन कीर्तन के बीच मां के जयकारे गूंजते रहे। शहर के विभिन्न मंदिरों में मां कात्यायनी के स्वरूप की पूजा-अर्चना की विशेष व्यवस्था की गई। कचहरी काली मंदिर, महादेवा स्थित दुर्गा मंदिर, शेखर सिनेमा स्थित संतोषी माता मंदिर, सुदर्शन चौक स्थित दुर्गा मंदिर, गांधी मैदान स्थित बुढि़या माई मंदिर, डीएवी मोड़ स्थित सहित विभिन्न मंदिरों में माता रानी का भव्य श्रृंगार किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर आरती में भाग लिया। पूजा-अर्चना कर मातारानी को मेवा, मिष्ठान, फलों आदि से भोग लगाया। ढोलक की थाप पर महिलाओं के भजन कीर्तन चलते रहे। नौ दिन तक व्रत रखने वाले देवी भक्तों ने अपने घरों में मां कात्यायनी के स्वरूप का ध्यान कर हवन पूजन किया तथा मंदिरों में पहुंचकर महामाई के भव्य स्वरूप का दर्शन कर मुरादें मांगी। मंदिरों में दिन भर प्रसाद वितरण होता रहा। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि नवदुर्गा के छठे स्वरूप को मां कात्यायनी कहते हैं। इन्हें आयुर्वेद में कई नामों से पुकारा जाता है। धर्म के साथ मां के इस छठे स्वरूप का स्वास्थ्य की ²ष्टि से बहुत महत्व है। यह कंठ के रोगों का विकार दूर करती है। कंठ के रोगों से पीड़ित भक्तों को मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इससे उनके सभी विकार दूर हो जाते हैं।

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