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आज होगी अमोघ फलदायिनी देवी कात्यायनी की पूजा

शारदीय नवरात्र के छठे दिन गुरुवार को देवी कात्यायनी की पूजा की जाएगी। आचार्य ने बताया कि कात्यायनी देवी आदि शक्ति के छठे रूप के तौर पर पूजी जाती हैं। देवी कात्यायनी सच्चे भक्तों के लिए अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 04:30 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 04:30 PM (IST)
आज होगी अमोघ फलदायिनी देवी कात्यायनी की पूजा
आज होगी अमोघ फलदायिनी देवी कात्यायनी की पूजा

सिवान । शारदीय नवरात्र के छठे दिन गुरुवार को देवी कात्यायनी की पूजा की जाएगी। आचार्य ने बताया कि कात्यायनी देवी आदि शक्ति के छठे रूप के तौर पर पूजी जाती हैं। देवी कात्यायनी सच्चे भक्तों के लिए अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग या विद्यार्थियों को विशेष तौर पर देवी कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए। इसी के साथ देवी कात्यायनी की पूजा गृहस्थों और विवाह की इच्छा रखने वालों के लिए भी फलदायी मानी जाती है। इनकी आराधना से भय, रोगों से मुक्ति और सभी समस्याओं का समाधान होता है। ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के यहां हुआ था। देवी दुर्गा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि उनके घर पुत्री पैदा होगी जिसकी लोग पूजा करेंगे। महिषासुर राक्षस का वध करने के कारण इनका एक नाम महिषासुर मर्दिनी भी है।

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इस मंत्र का करें जाप :

चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना, कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को भय, रोगों से मुक्ति व सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। देवी कात्यायनी की पूजा के दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए। मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है। इसलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े पहने और मां को शहद चढ़ाएं।

ऐसा है मां का स्वरूप :

मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। यह स्वर्ण के समान चमकीली है और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बांयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।

कैसे करें पूजा :

मां कात्यायनी की पूजा के लिए पहले फूलों से मां को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान जरूर करें। इस दिन दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। पुष्प और जायफल देवी को अर्पित करना चाहिए। देवी मां के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए। पुराणों में बताया गया है कि देवी की पूजा से गृहस्थों और विवाह योग्य लोगों के लिए बहुत शुभफलदायी है।


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