बाजार के पानी के भरोसे हुआ शहर
सिवान। पानी की किल्लत को लेकर लातूर जैसे कई शहरों की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के बीच खतरे से
सिवान। पानी की किल्लत को लेकर लातूर जैसे कई शहरों की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के बीच खतरे से कोसों दूर होने के बावजूद सिवान जिला मुख्यालय बाजार के पानी के भरोसे हो गया है। भूगर्भ जलस्तर यहां सामान्य होने और पेयजल को लेकर अमूमन शिकायतें न होने के बावजूद पिछले तीन-चार साल में पूरा शहर पीने के पानी के मामले में बाजार पर आश्रित हो गया है। हर घर तक दस्तक देने की कारोबारियों की रणनीति ने जहां बाजार के पानी को 'बड़ा बाजार' उपलब्ध करा दिया है।
पांच साल से बदला है माहौल
पांच-छह साल पहले डिब्बा बंद पानी का स्वाद लोग शादी-ब्याह या ऐसे ही किसी अन्य अवसर पर ले पाते थे। मांग कम थी तो आपूर्ति भी सीमित थी। लेकिन धीरे-धीरे स्थिति में बदलाव शुरू हुआ और आज कार्यालयों से लेकर परिवारों तक इस कारोबार ने अपनी पैठ बना ली है। शहर में ऐसे घरों की तादाद भी कम नहीं जहां पानी साफ करने के लिए आरओ या ऐसे ही अन्य उपकरण लगे हैं। लेकिन ऐसे घरों में भी जहां आरओ या अन्य उपकरण लगे हैं, डिब्बा बंद पानी की खपत होने लगी है।
किरायेदार परिवारों में बढ़ी खपत
बाजार के पानी का कारोबार शुरू में कार्यालय और दुकान तक सीमित था लेकिन अब धीरे-धीरे इसने घरों तक पहुंच बनानी शुरू कर दी है। अकेले रहने वालों और किरायेदार परिवारों के लिए यह अनिवार्य आवश्यकताओं में शुमार होने लगा है। बाजार का पानी लिया और स्वास्थ्य के सारे झंझटों से मुक्ति..! कई किराएदारों ने बताया कि इससे जहां स्वास्थ्य के प्रति निश्चिंत हुए हैं वहीं पानी को लेकर अक्सर होने वाली चिक-चिक भी बंद हो गई है।
तीन से चार हजार गैलन की रोजाना खपत
बाजार सूत्रों के मुताबिक शहर में अभी 20-22 जगह वाटर प्लांट लगे हैं जिनसे रोजाना औसतन साढ़े तीन हजार से चार हजार गैलन पानी रोजाना बाजार में पहुंच रहा है। कारोबारी मानते हैं कि गर्मी बढ़ने के साथ इस मांग में बढ़ोतरी होगी। कई सप्लायर अभी रविवार को आपूर्ति प्राय: बंद ही रखते हैं लेकिन माना जा रहा है कि आगे रविवार को भी सप्लाई उनकी मजबूरी हो जाएगी क्योंकि कई कारोबारी संडे को भी सुनिश्चित आपूर्ति के दावे करने लगे हैं।
आगे होगी परेशानी
जानकारों की मानें तो पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए बाजार पर बढ़ती निर्भरता भंिवष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। होली के मौके पर जब बाजार के पानी की आपूर्ति कम हुई, कई घरों से लोगों के फोन कारोबारियों तक जाते रहे कि पानी नहीं आने से प्यासे रह गए हैं। ऐसा उन घरों से भी हुआ जहां मोटर के साथ चापाकल भी लगा है। अपने स्त्रोतों की जगह बाजार पर निर्भरता का यह उदाहरण आने वाले दिनों के प्रति वाकई चिंता बढ़ा रहा है। जानकारों की मानें तो सिवान में जलस्तर में कमी अभी सामान्य है। यहां भूगर्भ जलस्त्रोतों का पानी भी गुणवत्ता की दृष्टि से सामान्य ही है। लेकिन पूरे शहर ने बाजार के पानी को अपनाकर अपने-अपने संसाधनों को एकतरह से नकार दिया है। इससे ऐसे घरों की तादाद भी कम हो गई है जहां का चापाकल पूरा पानी दे रहा हो। सामाजिक रूप से यह चाहे जितना गलत हो, लोग स्वास्थ्य रक्षा के नाम पर यह पीड़ा सहन कर रहे हैं।