नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र जांच के आदेश के से हड़कंप
सिवान। प्रखंड के नियोजन इकाई के सचिव सह बीडीओ रंजीत कुमार सिंह द्वारा वर्ष 2008 से अभी तक नियोजित सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के आदेश के बाद फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। प्रखंड नियोजन इकाई के पूर्व से संदेह के घेरे में वर्ष 2017 में नियोजित 16 शिक्षक मामला है।
सिवान। प्रखंड के नियोजन इकाई के सचिव सह बीडीओ रंजीत कुमार सिंह द्वारा वर्ष 2008 से अभी तक नियोजित सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के आदेश के बाद फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। प्रखंड नियोजन इकाई के पूर्व से संदेह के घेरे में वर्ष 2017 में नियोजित 16 शिक्षक मामला है। बीडीओ ने बीइओ को लिखे पत्र में कहा है कि उस वक्त के तत्कालीन बीईओ गुलाम सरवर ने प्रखंड नियोजन इकाई के समक्ष इन शिक्षकों के प्रमाण पत्र नहीं दिखाए थे जो कि संदेह के दायरे में है। वहीं एक शिकायत पर मध्य विद्यालय बघौना के शारीरिक शिक्षक चंद्रदीप सिंह से उनके सभी प्रमाणपत्रों को जमा करने का आदेश दिया गया है। सिसवन प्रखंड में अगर सही तरीके से
नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच की जाए तो यहां फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी करने वाले दर्जनों शिक्षक मिल सकते हैं। वर्ष 2008 में प्रखंड नियोजन इकाई द्वारा नियोजित 148 शिक्षकों के पद रिक्त थे, लेकिन तत्कालीन प्रखंड नियोजन इकाई के द्वारा 202 शिक्षकों का नियोजन किया गया था। बाद में सरकार द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे शिक्षकों को अल्टीमेटम दिया गया कि जो शिक्षक स्वेच्छा से त्याग पत्र देंगे उन पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की, जाएगी। जिसमें वर्ष 2008 मे नियोजित 5 प्रखंड शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्याग पत्र दे दिया था। पंचायत नियोजन इकाई द्वारा भी
शिक्षकों के नियोजन में खूब घालमेल किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक पंचायत नियोजन इकाई के द्वारा वर्ष 2008 में एक शिक्षक को फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नियोजित किया गया और उसी शिक्षक के प्रमाण पत्र वर्ष 2012 में बदल कर टीईटी उत्तीर्ण दिखाया गया।
ऐसे दर्जनों शिक्षक सिसवन प्रखंड में नियोजित हैं जिनका जांच के बाद खुलासा हो सकता है।