मनमाना किराया वसूली के विरोध पर संचालक करते दुर्व्यवहार
प्रखंड का मलमलिया चौक जहां प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे राज्यों तक जाने वाली बसों के संचालक मनमाना किराया वसूलते हैं। विरोध करने पर मारपीट पर उतारू हो जाते।
संसू, भगवानपुर हाट (सिवान): प्रखंड का मलमलिया चौक, जहां प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे राज्यों तक सफर करने के लिए बस सेवा उपलब्ध है। इन बसों के संचालकों द्वारा कोविड गाइडलाइन का पालन तथा डीजल-पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी का हवाला लेकर यात्रियों से मनमाने ढंग से किराया की वसूली की जाती है। अगर कोई यात्री अधिक किराया लेने की बात कहकर विरोध करता है तो बस संचालक अथवा उसके कर्मचारी उस यात्री से अभद्र व्यवहार करने पर अमादा हो जाते हैं। कभी-कभी तो मारपीट की नौबत तक आ जाती है। इतना ही नहीं बस संचालों द्वारा यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें बीच रास्ते में ही बस से उतार दिया जाता हैं। बसों में कोविड गाइडलाइन का पालन तो होता ही नहीं है। वहीं लोकल बसों में निर्धारित सीट से अधिक यात्रियों को ठूंस-ठूसकर बैठाए जाते है।
बस संचालकों द्वारा यात्रियों से वसूला जाता है ढ़ाई गुना अधिक किराया :
प्राप्त जानकारी के अनुसार मलमलिया चौक से छपरा, मशरख, मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी, रक्सौल, सिवान, गोपालगंज, हाजीपुर, पटना, कोलकाता, सिल्लीगुड़ी, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, रांची, टाटा, बोकारो, धनबाद आदि जगहों के लिए बसें चलती हैं। मलमलिया से पटना की दूरी करीब 120 किलोमीटर है, जबकि किराया 300 रुपया वसूला जाता है। सिवान की दूरी 30 किलोमीटर है जबकि किराया 100 रुपया लिया जाता है, अफराद मोड़ तक की 12 किलोमीटर दूरी के लिए 50 रुपया किराया वसूला जा रहा है। भगवानपुर छह किलोमीटर के करीब है जबकि किराया 30 रुपया, सहाजितपुर एवं बनियापुर का किराया 50 से 70 रुपया तथा इस मार्ग से छपरा का किराया 150 रुपया लिया जाता है, जो निर्धारित दर से ढाई से तीन गुना अधिक है। वहीं रांची के लिए 900 रुपया, टाटा के लिए 1000 रुपया, बोकारो के लिए 800 रुपया, दिल्ली के लिए 1000, जयपुर, राजस्थान तथा गुरुग्राम का 1200 रुपया किराया लिया जा रहा है। ऐसे में यात्रियों का आर्थिक एवं मानसिक शोषण होता है।
किराया तो बढ़ा और यात्री सीट से अधिक बैठाए जाते हैं वाहनों पर :
इधर यात्री वाहनों का किराया मनमाने ढंग से बढ़ा कर लिया जा रहा है, लेकिन शारीरिक दूरी का तनिक भी ख्याल नहीं रखा जाता है। यात्री जितने मिल जाएं सभी को ठूंस कर वाहनों में बैठा दिया जाता है। सबसे अधिक बुरा स्थिति लंबी सफर वाली बसों की है। बैठने की व्यवस्था से डेढ़ गुना से अधिक यात्रियों को वाहनों में बैठाया जाता है। वहीं एक स्लिपर में तीन यात्री बैठाए जाते हैं।
²श्य प्रथम : सुबह 9 बजे :
भगवानपुर से मलमलिया के लिए एक आटो में बैठे यात्रियों से 25 रुपया प्रति यात्री किराया वसूला जा रहा था और छह की जगह 12 यात्रियों को बैठाया जा रहा था।
²श्य दूसरा : 9.10 बजे
भगवानपुर से सहाजितपुर की दूरी मात्र पांच किलोमीटर का किराया आटो चालक द्वारा एक बुजुर्ग महिला से 25 रुपया यह कहते वसूल लिया कि तेल का दाम बढ़ रहा है।
²श्य तीसरा : 9.15 बजे :
भगवानपुर से मोरा बाजार जाने वाली आटो में 10 यात्री सवार थे। प्रति यात्री से चालक 30 रुपया वाहन किराया वसूल रहा था। अगर किसी यात्री को विमल चौक अथवा बीच रास्ते में भी उतरना है तो उन्हें भी 30 रुपया किराया देना पड़ा। इस दौरान यात्री वाहन संचालकों को कोसते दिखे।