इराक में ISIS ने की 39 भारतीयों की हत्या, बिहार के छह लोग भी शामिल
इराक में आइएसआइएस ने 39 भारतीयों की हत्या कर शवों को दफना दिया था, जिनमें से छह मृतक बिहार के थे। उनके घर में माजम का माहौल है।
सिवान [जेएनएन]। वर्ष 2014 में इराक के मोसुल शहर में आइएसआइएस आतंकियों द्वारा 39 भारतीयों को अगवा कर हत्या करने के मामले में मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने नया खुलासा किया। विदेश मंत्रालय से जारी सूची के अनुसार 39 मृतकों में से पांच युवक सिवान जिले के हैं। इसकी पुष्टि 12 नवंबर 2017 को विदेश मंत्रालय को भेजे गए ब्लड सैंपल और उसकी डीएनए जांच से हुई है। इनमें दो असांव, दो मैरवा और एक मुफस्सिल थाना क्षेत्र के निवासी थे।
मृतकों की पहचान असांव थाना क्षेत्र के सहसरांव ग्राम निवासी चंद्रमोहन सिंह के पुत्र संतोष कुमार सिंह एवं मधुसूदन तिवारी के पुत्र विद्या भूषण तिवारी, मैरवा थाना क्षेत्र के सिसवां खुर्द निवासी रामबहादुर सिंह के पुत्र अदालत सिंह एवं इसी प्रखंड के हरपुर गांव के राजेंद्र प्रसाद के पुत्र धर्मेंद्र कुमार के अलावा मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टड़वा निवासी रामायण कुशवाहा के पुत्र सुनील कुमार कुशवाहा के रूप में की गई है।
सिवान के आंदर थाना क्षेत्र के सहसरांव गांव के निवासी विद्याभूषण तिवारी (25) और संतोष कुमार (20) की मौत की पुष्टि होते ही वर्ष 2013 से बेटों को खोने के गम में डूबे दोनों युवकों के परिजनों पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। देखते ही देखते पूरा गांव सांत्वना देने के संतोष कुमार सिंह के पिता चंद्रमोहन सिंह और विद्याभूषण तिवारी के पिता पुरुषोत्तम तिवारी के घर जुट गया। देर शाम तक अन्य मृतकों के घर पुष्टि की सूचना नहीं आने से वे बेचैन थे।
इस मामले में जिलाधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि एक महीने पहले पांच लोगों का ब्लड सैंपल मांगा गया था। जांच के बाद आज मृतकों के नाम की लिस्ट जारी की गई है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। सूत्रों की माने तो इराक में आतंकियों के शिकार छठा व्यक्ति भी सिवान के राजू यादव थे। हालांकि, उनके माता-पिता की मौत के कारण उनके नजदीकी रिश्तेदार के रक्त का नमूना लिया गया था।
बता दें कि पूर्व में 12 नवंबर 2017 को मृतकों की पुष्टि के लिए डीएनए मिलान करने के लिए पांच परिवारों को 15 सदस्यों का सैंपल भेजा गया था। इसमें एक परिवार के तीन सदस्य शामिल थे। सैंपल लेकर विशेष वाहक सदर प्रखंड के सहायक अभिषेक कुमार के माध्यम से विदेश मंत्रालय को भेजा गया था।