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नाला बन गया कूड़ादान

सीतामढ़ी। शहर में जल निकासी के लिए बनाए गए नाला के अक्सर जाम रहने नाला का पानी ओवर फ्लो होकर सड़क पर बहने लगता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 01:37 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:15 AM (IST)
नाला बन गया कूड़ादान
नाला बन गया कूड़ादान

सीतामढ़ी। शहर में जल निकासी के लिए बनाए गए नाला के अक्सर जाम रहने नाला का पानी ओवर फ्लो होकर सड़क पर बहने लगता है। जिससे सड़क पर गंदगी पसरती है। इसका कारण अधिकतर नाला कई जगहों स्लैबविहीन होने या जगह-जगह स्लैब टूटे रहने के कारण कई लोग घरों का कचरा नाला में ही डाल देते हैं। जिसके कारण जगह-जगह नाला जाम हो जाता है। जिससे जल निकासी सही ढंग से नहीं हो पाती है। जबकि नाला सफाई के दौरान इसका कीचड़ और गंदगी निकाल कर सड़क पर ही रख दिया जाता है। इसका उठाव तब तक नहीं किया जाता है जब तक कि यह सूख नहीं जाता है। लेकिन इस बीच यह धूल बनकर उड़ती रहती और लोगों को बीमार करता रहता है। इन जगहों पर जाम रहता नाला:

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शहर के मुख्य पथ में बने नाला जगह-जगह जाम रहता है। मेहसौल चौक से कालेज रोड, स्टेशन रोड, गांधी चौक से लोहापट्टी, थाना रोड, जानकी स्थान, रीगा रोड आदि जगहों के नाले सालोभर जाम रहते हैं। मुख्य पथ में बने नालों का कई जगह पर अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। कई जगहों पर नाला पूरी तरह भर चुका है तो कई कई जगह पर अतिक्रमण का शिकार बन गया है। इसके अलावा विभिन्न मोहल्लों में बने नाला भी जगह-जगह जाम रहते हैं।

कोट:

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक झा ने बताया कि इस व्यवस्था को बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। नाला से निकाले गए कीचड़ को उसी समय ट्रॉली से उठा कर वहां से हटा देना है। अगर कहीं सड़क पर गंदगी या कीचड़ का जमावड़ा है तो सूचना देने पर उसे शीघ्र हटा कर समस्या का निदान किया जाएगा। शहर के मुख्य पथ के नालों की नियमित सफाई जरूरी

बॉक्स में: कूड़ा-कचरा से फैलने वाली गंदगी एवं इससे होने वाले वायू प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गली-मोहल्लों एवं शहर के मुख्य पथ के नालों की नियमित सफाई होनी चाहिए। नाले पर ढक्कन लगा होना चाहिए। ताकि नाला में लोग कूड़ा न डाल पाए। साथ ही कूड़ा कचरा को शहर से बाहर कर उसके प्रबंधन की व्यवस्था करनी होगी। विवाह भवन तथा होटलों के कचरों के शीघ्र निस्तारण के प्रबंध किए जाए। होटलों कूड़ा-कचरा डालने के लिए सभी मोहल्लों एवं मुख्य पथ में जगह-जगह डस्टबीन की व्यवस्था हो। जहरीला धुंआ उगलने वाले फैक्ट्री व जेनरेटर संचालन पर रोक लगाया जाए। गंदगी से

होने वाले वायू प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर अधिक से पौधारोपण किया जाए। कचरा ढोने वाले वाले वाहन हर हाल में ढंका रहना चाहिए। इसके अलावा मिट्टी लदे टेलर, हाइवा को भी ढंककर ही चलाने की अनुमति देनी चाहिए। कचरा उठाव में तत्परता तथा यत्र-तत्र कचरा डालने तथा जलाने पर पूरा प्रतिबंध हो।- प्रो.चंद्रभूषण, विशेषज्ञ

--- रीडर कनेक्ट के लिए मो.नं. 9471292988 इन बॉक्स: विद्यालय में चेतना सत्र के दौरान बच्चों को पढ़ाया जाता है स्वच्छता का पाठ

जासं, सीतामढ़ी: जगह-जगह इन दिनों साफ-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है। इससे लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता तो आई है लेकिन इसे व्यवहारिकता में लाने में अभी कुछ समय लगेगा। इसके लिए जरूरी है कि साफ-सफाई को हम अपने दिनचर्या में शामिल करें। बच्चे अगर शुरू से ही सफाई का महत्व समझ जाएंगे तो आगे भी यह उनकी दिनचर्या में शामिल होगी जिससे व्यवहार में साफ-सफाई दिखने लगी।

चेतना सत्र में बच्चों को बताया जाता है साफ-सफाई के बारे में: विभिन्न सरकारी विद्यालयों में साफ-सफाई के लिए अलग से कोई क्लास नहीं ली जाती है। लेकिन स्कूलों में चेतना सत्र(प्रार्थना के समय) में साफ-सफाई के महत्व को समझाया जाता है। समय-समय पर विद्यालयों एवं आसपास सफाई अभियान भी चलाया जाता है। मध्य विद्यालय बेरवास के शिक्षक मनोज कुमार यादव ने बताया कि चेतना सत्र में बच्चों को सफाई के प्रति जागरूक किया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि कूड़ा-कचरा डस्टबीन में हीं डालें। इसके अलावा समय-समय पर विद्यालय में हाथ धुलाई एवं अन्य स्वच्छता के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। जिससे बच्चे स्वच्छता के प्रति जागरूक होते हैं। हालांकि कई विद्यालयों परिसर में साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है। लेकिन विद्यालय आसपास एवं उसके सामने ही गंदगी पसरी रहती है।


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