Move to Jagran APP

डीएपी, पोटाश व फॉस्फेट खाद की किल्लत से किसानों में हाहाकार

सीतामढ़ी। बोखड़ा प्रखंड क्षेत्र में रबी फसल की बुआई के समय पर डीएपी पोटाश एवं फॉस्फेट जैसे खाद की किल्लत से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 12:03 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 12:03 AM (IST)
डीएपी, पोटाश व फॉस्फेट खाद की किल्लत से किसानों में हाहाकार
डीएपी, पोटाश व फॉस्फेट खाद की किल्लत से किसानों में हाहाकार

सीतामढ़ी। बोखड़ा प्रखंड क्षेत्र में रबी फसल की बुआई के समय पर डीएपी, पोटाश एवं फॉस्फेट जैसे खाद की किल्लत से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। पिछले दस से पन्द्रह दिनों से इन खादों की किल्लत है। खाद नहीं मिलने के कारण 50 फीसद से अधिक किसान अपने खेतों में गेहूं, तेलहन व दलहन फसल की बुआई नहीं कर सके है। प्रखंड के अधिकतर किसान अपने खेतों की जुताई कर बुआई के लिए खेत तैयार कर चुके है, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में रबी फसल की बुआई प्रभावित हो रही है। माहिसौथा गांव के किसान कृष्ण कुमार सिंह पप्पू ने बताया की रबी फसल की बुआई के लिए खेत की जुताई कर खेत तैयार कर खाद के लिए कई जगह चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन डीएपी व पोटाश खाद नहीं मिल पा रहा है। खेत से नमी जा रही है। खाद की किल्लत है, ऐसे में रबी फसल कैसे उत्पादन होगी। सरकार किसानों को समय पर खाद व बीज उपलब्ध कराए जाने की दावा करती है। लेकिन, समय पर न तो बीज मिलता है और ना ही खाद। ऐसे में किसान परेशान एवं हैरान है। कुरहर गांव के किसान गणेश सहनी ने बताया कि तकरीबन डेढ़ एकड़ खेत की जुताई करा कर गेहूं की बुआई के लिए खाद के दुकानदारों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन, खाद नहीं मिल रहा है। पकटोला गांव के किसान शहाबुद्दीन ने बताया की खाद नहीं मिलने से गेहूं की बुआई प्रभावित हो रही है। बारह सौ का इफको, डीएपी सतरह सौ में जबकि एक हजार रुपये का मिक्चर चौदह से पन्द्रह सौ रुपये बोरा कालाबाजारी से मिलता है। पकटोला गांव दरभंगा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में होने के कारण उस क्षेत्र का दुकानदार खाद नहीं देता है। रबी फसल की बुआई में प्रयुक्त होने वाली डीएपी एवं अन्य खाद की किल्लत एवं किसानों में खाद को लेकर मची हाहाकार के संबंध में कुरहर पंचायत की मुखिया प्रियंका कुमारी राय ने कहा कि किसानों में खाद को लेकर हाहाकार मची है और सरकार मूक दर्शक बनी है। एक तरफ अधिक मूल्य पर खाद की कालाबाजारी हो रही है और दूसरी तरफ किसान खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं। इस संबंध में कृषि सलाहकार किशोर कुमार झा ने कहा कि डीएपी खाद का कम आवंटन मिलने से यह स्थिति उत्पन्न है। जितनी मात्रा में खाद उपलब्ध होनी चाहिए उतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,डीएपी खाद की किल्लत के बीच बोखड़ा एवं नानपुर प्रखंड में कई ऐसे उर्वरक बिक्रेता है, जो डीएपी मिलावटी खाद की बिक्री कर रहे है। कुछ उर्वरक बिक्रेताओं ने बताया की असली और नकली खाद की पहचान किसानों के वश की बात नहीं है। उसकी पहचान उर्वरक विक्रेता ही कर सकते हैं। ऐसे में किसान इस तरह के उर्वरक का उपयोग तो करते हैं, लेकिन उनके खेतों से अच्छी उपज नहीं हो पाती है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.