सेवाभाव से ही बनती सत्संग की राह: वेदानंद
सीतामढ़ी । कंसार गांव में चल रहे संगीतमय भागवत कथा कंसार गांव में चल रहे संगीतमय भागवत कथा के दूसरे दिन गुरुवार को आचार्य वेदानंद शास्त्री ने कहा कि सेवाभाव से हीं सत्संग की राह बनती है।
सीतामढ़ी । कंसार गांव में चल रहे संगीतमय भागवत कथा के दूसरे दिन गुरुवार को आचार्य वेदानंद शास्त्री ने कहा कि सेवाभाव से हीं सत्संग की राह बनती है। उन्होंने चतुश्लोकि भागवत की व्याख्या करते हुए भगवान के विभिन्न अवतारों के प्रयोजन को विस्तार से समझाया। उन्होंने भगवत प्राप्ति एवं उनकी कृपा के लिए श्रद्धा,आस्था व करुणा को अनिवार्य बताया। सफल गृहस्थ जीवन के कर्तव्यों की चर्चा करते हुए कहा कि सर्वप्रथम अपने संतान को सन्मार्ग पर चलने को प्रेरित करना चाहिए। संस्कारवान पुत्र सत्पात्र हो जाते हैं। शुकदेव जी के प्रसंग के माध्यम से संतति को सर्वजीव सद्भाव एवं कल्याण को तत्पर रहने का भी संदेश दिया। कहा कि दुख में हीं लोग भगवान का सुमिरन करते हैं। अगर सुख में हीं उनका सुमिरन किया जाए तो दुख आएगा हीं नहीं। उन्होंने इसे भीष्म द्वारा श्री कृष्ण की कि गई स्तुति के माध्यम से इसे स्पष्ट किया। साथ हीं कुंती के उदाहरण के माध्यम से बताया कि दुख में भगवान स्वयं मदद को तैयार रहते हैं।