संस्कृत स्कूल पर अनदेखी का 'ताला'
सीतामढ़ी शहर के जानकी स्थान स्थित इकलौते संस्कृत हाईस्कूल की स्थापना अंग्रेजों ने 10
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी शहर के जानकी स्थान स्थित इकलौते संस्कृत हाईस्कूल की स्थापना अंग्रेजों ने 108 साल पहले की थी। शुरू के दिनों में यहां की स्थिति बेहतर थी। वेद व पुराण की भी शिक्षा दी जाती थी, किंतु प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह स्कूल वर्ष में पांच माह बंद ही रहता है। जुलाई में स्कूल बंद होता है तो छठ बाद नवंबर में ही खुलता है। इस दौरान केवल शिक्षक स्कूल में हाजिरी बना अपनी ड्यूटी पूरी कर लेते हैं।
वर्तमान में यहां 45 छात्रा व 105 छात्र समेत कुल डेढ़ सौ छात्र हैं। छठी से दसवीं तक की शिक्षा के लिए प्रधान शिक्षक समेत महज चार शिक्षक हैं। यहां के प्रधान शिक्षक मदन मोहन कुमार वर्ष 1982 से इस पद पर हैं। वैसे तो स्कूल में परेशानी ही परेशानी है, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी जलजमाव है। बारिश में स्कूल के कमरों से लेकर परिसर तक जलजमाव हो जाता है। लिहाजा पठन-पाठन बंद करना मजबूरी बन जाती है। यह स्थिति पिछले एक दशक से है, लेकिन प्रशासन अनजान बना है। ऐसा नहीं है कि स्कूल के विकास के लिए फंड नहीं है। जल निकासी के लिए एमएलसी फंड से दो साल पूर्व 1.50 लाख रुपये आवंटित हुए, लेकिन यह राशि डीडीसी कार्यालय में फंसी है। अध्यक्ष नहीं होने से भी परेशानी हो रही है। पहले पूर्व मंत्री सह पूर्व नगर विधायक स्कूल के अध्यक्ष थे, उनके चुनाव हारने के बाद विद्यालय शिक्षा समिति का चुनाव नहीं हो सका है। ऐसे में सभी कार्य ठप हैं।
:: कोट ::
-' स्कूल के विकास के प्रति प्रशासन बेपरवाह है। जलजमाव की वजह से एक दशक से साल के पांच महीने स्कूल बंद करने की नौबत आती है। ':
-अभिषेक मिश्रा उर्फ शिशु, सचिव, विधालय शिक्षा समिति
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' स्कूल की समस्या के बारे में विभाग को कई बार लिखा गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
- मदन मोहन कुमार, प्रधान शिक्षक
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' जलजमाव से मुक्ति दिलाना प्रशासन का काम है। स्कूल की अन्य समस्याओं का शीघ्र ही समाधान करा दिया जाएगा
- महेश्वर साफी, डीईओ, सीतामढ़ी