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भारत-नेपाल सीमा विवाद से नहीं टलेगा रक्सौल से काठमांडू तक रेललाइन का काम

भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर तल्खियों का रेललाइन निर्माण पर असर पड़ने के अटकलों पर रेलवे ने विराम लगा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 12:30 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 12:30 AM (IST)
भारत-नेपाल सीमा विवाद से नहीं टलेगा रक्सौल से काठमांडू तक रेललाइन का काम
भारत-नेपाल सीमा विवाद से नहीं टलेगा रक्सौल से काठमांडू तक रेललाइन का काम

सीतामढ़ी। (सागर कुमार), भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर तल्खियों का रेललाइन निर्माण पर असर पड़ने के अटकलों पर रेलवे ने विराम लगा दिया है। पूर्व मध्य रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर उत्कर्ष कुमार ने गुरुवार को दैनिक जागरण से बातचीत में ऐसी अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। जून 2020 तक विस्तृत योजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार होने के आश्वासनों के बीच इस माह ये काम नहीं हो पाया। दोनों देशों के बीच तल्खियों को इसका कारण माना जा रहा था। इसी बीच रेलवे का यह बयान आया है। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल के बीच रेललाइन निर्माण में कोई बाधा नहीं है और न ही करार रद करने जैसी कोई बात ही हुई है। भारत-नेपाल के बीच रेलखंड निर्माण के लिए सर्वे का काम और तेजी से शुरू हो गया है। दक्षिण भारत की एक पब्लिक सेक्टर की कंपनी कोंकण रेलवे को सर्वे का काम सौंपा गया है। वह अपना काम तेजी से पूरा कर रहा है। सर्वे के बाद इस परियोजना के लिए टेंडर होगा। सर्वे का काम तकरीबन एक साल में पूरा होगा। इस परियोजना के अंतर्गत प्रति किलोमीटर कितनी लागत आएगी, कहां क्या कुछ निर्माण किया जाना जरूरी होगा जैसे कितने रेलवे स्टेशन होने चाहिए, कितने पुल-पुलिया, अंडरपास होंगे उनके बारे में यह कंपनी रिपोर्ट करेगी। यह रिपोर्ट रेलमंत्रालय को सौंपी जाएगी। पहले चरण की सर्वे रिपोर्ट 28 दिसंबर, 2019 को रेलवे बोर्ड को सौंपी गई थी। उसके बाद ही दूसरे चरण के लिए सर्वे शुरू हुआ है। दोनों देशों के बीच साल 2018 में ही समझौता हुआ। इस रेललाइन के निर्माण पर लगभग 16550 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।

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136 किलोमीटर लंबे रेलखंड का होना है निर्माण रक्सौल से काठमांडू तक सीधी रेल सेवा शुरू करने पर काम तेजी से शुरू है। काठमांडू तक 136 किलोमीटर के बीच 13 प्रमुख स्टेशन बनेंगे। रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है। रास्ते में पहाड़ खोदकर सुरंग बनेगी। रक्सौल से काठमांडू के बीच की दूरी लगभग 140 से 150 किलोमीटर की है, रेल सेवा से जुड़ने पर 15 किमी दूरी कम जाएगी। 136 किलोमीटर लंबे रेलखंड पर 32 रेलवे ओवरब्रिज व 53 अंडरपास, 41 बड़े पुल, 259 छोटे पुल बनेंगे। जिससे सड़क यातायात को सुचारू ढंग से बहाल रखा जा सकेगा। पूर्व मध्य रेल के डिप्टी चीफ इंजीनियर उत्कर्ष कुमार ने बताया कि पहला सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। पिछले ही हफ्ते प्रतिवेदन रेल मंत्रालय को सौंप दिया गया है। अब डिटेल सर्वे कार्य होने जा रहा है, जिसमें स्टेशनों कि संख्या, पुल- पुलिया, अंडरपास, ओवरब्रिज आदि को जरूरत के अनुसार घटाया-बढ़ाया भी जा सकता है। कहां-कहां रेल यार्ड की जरूरत पड़ेगी यह भी देखा जाएगा।

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यहां प्रस्तावित है रेलवे स्टेशन

सर्वेक्षण के अनुसार, रक्सौल, बीरगंज, बगही, पिपरा, धुमडवना, ककाड़ी, निजगढ़, चंद्रपुर, धिवाला, शिखरपुर सिनेरी, साथीखेल और काठमांडू जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर रेलवे स्टेशन बनेंगे। रेलमार्ग से जोड़ने के लिए रक्सौल से काठमांडू तक के बीच ये रेलखंड 136 किलोमीटर लंबी होगा। वर्ष 2004 में रक्सौल से साढ़े पांच किलोमीटर लिक रेल द्वारा नेपाल के बीरगंज में इनलैंड कंटेनर डिपो स्थापित किया गया था। वर्तमान में सुचारू रूप से कार्यरत है। रेलवे की इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में 31 अगस्त, 2018 को समझौते पर हस्ताक्षर किया गाय। दोनों देशों के बीच सदियों से मित्रवत संबंध हैं। सीधी रेल सेवा से जुड़ने से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी।


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