सिर्फ दावों की बदौलत रुन्नीसैदपुर सीएचसी में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी
सीतामढ़ी। कोरोना की तीसरी लहर आने ही वाली है। अगस्त माह के आखिर तक तीसरी लहर की आशंका जाहिर कर लोगों की चिता बढ़ा दी है। इस निमित मुकम्मल तैयारियां रखने की सरकार ने निर्देश भी दिया है।
सीतामढ़ी। कोरोना की तीसरी लहर आने ही वाली है। अगस्त माह के आखिर तक तीसरी लहर की आशंका जाहिर कर लोगों की चिता बढ़ा दी है। इस निमित मुकम्मल तैयारियां रखने की सरकार ने निर्देश भी दिया है। बावजूद, रुन्नीसैदपुर सीएचसी में तैयारी आधी-अधूरी दिखती है। सीएचसी में वैक्सीनेशन के लिए उमड़ी भीड़ तथा टीका लगाने में हांफ रही स्वास्थ्य कर्मियों की टोली, इस बात की गवाही दे रही थी कि सभी लोग किस कदर तीसरी लहर से डरे-सहमे हुए हैं। मगर, ध्यान देने वाली बात यह भी थी कि वैक्सीनेशन के दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन भी नहीं हो रहा था। तस्वीरों में आप लापरवाही की बानगी देख सकते हैं। किसी के चेहरे मास्क से ढ़के नहीं थे। फिजिकल डिस्टेंसिग की बात तो दूर। पहले टीका लेने की होड़ में लोग देह पर देह चढ़े हुए थे। अस्पताल का कोई कर्मचारी उन लोगों को इस बात के लिए ताकीद करता हुआ भी नहीं दिखा। स्पष्ट था कि जितने लापरवाह लोग थे उतने ही बेखबर-बेपरवाह कर्मचारीगण। इन्हीं सवालों की उधेड़बुन में हम प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अमृत किशोर से मुखातिब हुए। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी भी उस भीड़ के आगे पूरी तरह बेबस और लाचारी की हालत में दिख रहे थे। इतनी भीड़ को काबू कर पाने में अपनी लाचारी जताते हुए उन्होंने गाइडलाइंस का अनुपालन कराने में हाथ खड़े कर लिए थे। भीड़ को संभालने के चक्कर में उनके चेहरे भी मास्क से ढ़के नहीं थे।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी चाहे जितनी परेशानी, कोरोना से लड़ने की मुकम्मल तैयारी
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका तथा उससे निपटने की तैयारियों के सवाल पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का जरा जवाब भी सुन लीजिए- ''ऑल इज वेल।'' जाहिर है तमाम गाइडलाइन्स और हिदायतें बस हवा-हवाई भर ही हैं। किसी स्तर पर कोई सजगता और तत्परता नहीं दिखती। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अनुसार, यहां कुछ बेहतर करने की बजाए रोगियों की मुश्किलों को आंकड़ों की बाजीगरी से ढ़कने के प्रयास के अलावा कुछ भी नहीं था। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की मानें तो जहां डिलीवरी का काम होता है, नियमत: आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाए जा सकते हैं। आइसोलेशन वार्ड, वेंटिलेटर बेड अथवा आईसीयू की सुविधा जिला स्तर पर है। सीएचसी का काम गंभीर रोगी को उनके गांव से अस्पताल तक लाना तथा प्राथमिक उपचार के बाद जिला स्थित आइसोलेशन वार्ड तक पहुंचाना भर है। यह बात दीगर है कि इसमें भी कमी रह जाती है और रोगी समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाए जाते हैं।
---------------------------- बदहाली पर सवाल उठाने पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कोरोना महामारी के लिए लोगों को ही कसूरवार ठहराया
सीएचसी में बेड की अनुपलब्धता तथा ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी पिछली कोरोना लहर में परेशानियों का कारण बना। व्यवस्था पर सवाल उठाने पर चिकित्सा पदाधिकारी ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए लोगों की लापरवाही को ही कारण गिना दिया। उन्होंने कहा कि मास्क नहीं पहनने, बार-बार हाथ नहीं धोते रहने तथा फिजिकल डिस्टेंसिग के लिए गाइडलाइंस को भूल जाने के चलते ही दूसरे चरण में लोगों को अधिक मुसीबत झेलनी पड़ी। दूसरी वजह वायरस के दूसरे व पहले से ज्यादा वैरिएंट होना भी था। उन्होने कहा कि जबतक लोगों को वैक्सीन के माध्यम से सुरक्षा नहीं मिल जाती उसे रोक पाना मुश्किल है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए लोगों से भीड़भाड़ से बचने, मास्क पहनने, फिजिकल डिस्टेंसिग मेंटेन करने, बार-बार हाथ धोने व ताजा भोजन करने की अपील की।