Move to Jagran APP

गन्ना किसानों का भुगतान लंबित, किसानों के तेवर तल्ख

सीतामढ़ी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल के बावजूद इलाके के गन्ना किसानों का भुगतान लंबित है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 11:55 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 11:55 PM (IST)
गन्ना किसानों का भुगतान लंबित, किसानों के तेवर तल्ख
गन्ना किसानों का भुगतान लंबित, किसानों के तेवर तल्ख

सीतामढ़ी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल के बावजूद इलाके के गन्ना किसानों का भुगतान लंबित है। गन्ना मद की तकरीबन एक अरब से अधिक की राशि अब भी मिल प्रबंधन पर बकाया है। वह भी तब जब मिल उत्पादित चीनी की बिक्री कर 85 फीसदी राशि किसानों को अदा करने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों पर है। ऐसे में एक बार फिर किसानों में आक्रोश है। किसानों का यह आक्रोश अब आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। जबकि मिल प्रबंधन घाटे की बात बता खुद रो रहा है। 16 मई को चीनी मिल के पेराई सत्र का समापन हो गया। 20 दिसंबर 2018 से शुरू पेराई सत्र के दौरान 146 दिन चले पेराई के दौरान 45 लाख 25 हजार क्विटल ही गन्ने की पेराई हो सकी जो पिछले साल से एक लाख क्विंटल कम है। इसका कारण मजदूरों के आंदोलन के चलते कई बार मिल का बंद होना रहा। मजदूरों के आंदोलन से मिल प्रबंधन को करोड़ों रुपये की क्षति उठानी पड़ी।

loksabha election banner

------------------------

बाढ़ और बरसात की मार झेलते सीतामढ़ी और शिवहर जिले के किसानों के लिए गन्ना ही एक मात्र नकदी फसल था। लेकिन अब इलाके के किसानों के लिए गन्ने की खेती घाटे का सौदा बन गयी है। पिछले साल रीगा चीनी मिल को अपना गन्ना देने के बाद अधिकतर किसानों के हाथ खाली हैं। किसानों का गन्ना मूल्य का 135 करोड़ रुपये मिल प्रबंधन पर बकाया है। जबकि इस साल भी किसानों ने चीनी मिल को गन्ना दिया है। हालांकि इसका भुगतान कब होगा? इस पर सवाल है। इधर, इस बार महज 45 लाख 25 हजार क्विटल गन्ने की ही पेराई हो सकी है। जबकि पूर्व में 65 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई होती थी। राज्य के अन्य चीनी मिलों के पास कोई अतिरिक्त इकाई नहीं है, वहां गन्ने का ससमय भुगतान हो रहा है, लेकिन अलग से दो-तीन इकाई होने के बावजूद रीगा चीनी मिल से जुड़े गन्ना किसान परेशान हैं। रीगा चीनी मिल पर किसानों के गन्ना मूल्य का वर्ष 2017-2018 तथा 2018-2019 का 135 करोड़ रुपये बकाया है। किसान गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए दर-दर भटकने को विवश हैं। संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा रीगा व ईंखोत्पादक संघ समेत विभिन्न किसान संगठनों ने आंदोलन किया। गन्ना उद्योग विकास विभाग और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। वर्ष 2018 में सीएम नीतीश कुमार के सीतामढ़ी दौरे के दौरान उन्हें गन्ना किसानों की बदहाली की जानकारी दी गई। साथ ही मिल की चीनी जब्त कर रिसीवर बहाल करने की मांग की गई थी। सीएम ने संज्ञान लेते हुए रिसीवर भी बहाल किया। इसके बाद अधिकारियों की टीम को मिल का चीनी जब्त करते हुए चीनी के अलावा इथेनाल व कोजेन सहित अन्य श्रोतों से प्राप्त राशि में से 85 फीसदी किसानों तथा 15 फीसदी मिल के खाता में भेजने का आदेश दिया गया। इसके तहत भुगतान भी शुरू हुआ। इस बीच केंद्र सरकार के आदेश से चीनी बिक्री का कोटा निर्धारण होने से चीनी की बिक्री सीमित हो गई और किसानों के बकाये के भुगतान की गति धीमी होती गई। जबकि नए सत्र के पेराई के समय राज्य सरकार ने अपने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए चीनी बिक्री की राशि का 70 फीसदी किसानों के खाता में तथा 30 फीसदी मिल के खाता में भेजने का निर्णय दे दिया। इससे भुगतान की गति और धीमी हो गई है। मोर्चा के संरक्षक डा. आनंद किशोर तथा अध्यक्ष रामतपन सिंह तथा ईंखोत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह आदि बताते हैं कि सरकार की नीतियों के चलते गन्ना किसान तबाह हो गए हैं। हालत यह है कि गन्ना किसान कर्ज के बोझ में दबते जा रहे हैं।

------------------

स्थानीय अधिकारी लोक सभा चुनाव के तहत आदर्श आचार संहिता लागू रहने के चलते कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं। जबकि रीगा चीनी मिल के अध्यक्ष अमर शर्मा ने बताया कि पिछले बार से इस बार तकरीबन 1 लाख क्विंटल कम गन्ने की पेराई हुई है। इस सत्र में तकरीबन 146 दिन चीनी मिल में पेराई कार्य चला है। बीच-बीच में रीगा मिल वर्कर्स यूनियन के आंदोलन के चलते कई दिनों तक चीनी मिल बंद रहा था। इससे मिल को करोड़ों रुपये की क्षति हुई है। अध्यक्ष ने बताया कि पिछले सीजन का किसानों का मात्र 15 करोड़ रुपये बकाया रह गया है जिसे किसानों को जल्द उपलब्ध कराया जाएगा। जबकि नए सत्र का भी भुगतान शीघ्र किया जाएगा।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.