..उफ ! ये गर्मी आखिर कब तक सताएगी
शिवहर। शुक्रवार का दिन बेहद गर्म दिन साबित हुआ। गर्मी के मारे लोग पूरे दिन मानों घर में कैद होकर रह गए। तेज एवं तीखी धूप ऐसी कि मानों आकाश से चिगारियों की बरसात हो रही हो।
शिवहर। शुक्रवार का दिन बेहद गर्म दिन साबित हुआ। गर्मी के मारे लोग पूरे दिन मानों घर में कैद होकर रह गए। तेज एवं तीखी धूप ऐसी कि मानों आकाश से चिगारियों की बरसात हो रही हो। गोया कि पूरा दिन जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। इस बीच बिजली का गुल होना तो कोढ़ में खाज के बराबर जान पड़ी। लोग-बाग छांव की तलाश करते दिखाई दिए। वहीं शहर में घनी बस्ती एवं बहुमंजिली इमारतों ने हवा को रोक और उमस बढ़ा दी। नतीजतन बिजली आने पर लोग घर के अंदर भागते और बिजली जाने पर घर के बाहर दौड़ लगाते नजर आए। लेकिन चैन नसीब होता नहीं दिखा। यह क्रम पूरे दिन जारी रहा। वहीं दूसरी ओर जल संकट का अभिशाप एक अलग मुद्दा है। कहीं नल है तो जल नहीं, जहां जल है वहां नल नहीं हर घर नल का जल पहुंचाने का सरकार का दावा पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहां नल है तो जल नहीं और कहीं जल है तो नल नहीं। कहने का मतलब यह कि बहुतेरे गांवों में पाइप और टोंटियां हैं लेकिन जल मीनार बंद पड़े हैं। वहीं ऐसे गांव भी कम नहीं जहां बोरिग हो गई हैं मगर पाइप लाइन नदारद हैं। कुल मिलाकर नल-जल योजना अपने लक्ष्य से भटकी हुई जान पड़ती है। अगर ऐसा नहीं होता तो आज के दिनों में जिस तरह भयानक गर्मी पड़ रही है लोग नल के शीतल पेय जल से अपना कलेजा तर करते दिखते जबकि धरातल की सच्चाई यही है कि आज भी चापाकल का ही आसरा है। जहां योजना पूरी कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है वहां भी नल में जल आने-जाने का कोई निश्चित टाईम टेबुल नहीं है। गर्मी ने बढ़ा दी है मुसीबत गर्मी का आलम यह है कि बीच के दिनों में आंधी-तूफान आने के बावजूद उसकी तीक्ष्णता में कोई कमी नहीं आई है। तापमान का कांटा चालीस से नीचे उतरने को राजी नहीं जान पड़ता है। यही कारण है कि इन दिनों बीमारों की तादाद में इजाफा दिख रहा है। अस्पतालों में मुख्यत: डायरिया एवं बुखार से परेशान मरीज ज्यादा देखे जा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है विशेष सावधानी बरतने की। वहीं जब भी परेशानी हो तुरंत स्थानीय चिकित्सक से मशविरा लेकर इलाज में जुट जाएं। पानी का अधिकाधिक उपयोग लाभकारी सिद्ध होगा।