बाढ़ राहत व बचाव की सभी तैयारियां समय से पूर्व : डीएम
सीतामढ़ी। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच संभावित बाढ़ की चिता भी सता रही है। सरकार के
सीतामढ़ी। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच संभावित बाढ़ की चिता भी सता रही है। सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने अभी से उसकी तैयारियां शुरू करने का दावा किया है। जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से वरीय अधिकारियों सहित सभी बीडीओ, सीओ आदि के साथ बुधवार को बैठक के बाद जिस तरह से तमाम दावे किए हैं उसके मुताबिक इस बार बाढ़ आई भी तो आम नागरिकों को ज्यादा परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। बाढ़ पूर्व तैयारियों को लेकर अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा के बाद तमाम तैयारियों को समय पूर्व पुख्ता करने का प्रशासन ने आश्वासन दिया है। इसके बाद डीएम ने कहा कि बाढ़ के दौरान आपदा से निपटने के लिए 200 आपदा मित्र तैनात रहेंगे जिनको अभी से ही ट्रेंड किया जा रहा है। बाढ़ आने पर 226 स्थलों पर आदमी के लिए शरण स्थली होगा तथा 50 पशु आश्रय स्थल भी चिह्नित किए गए हैं, जहां सभी के लिए जरूरी इंतजाम रहेंगे। सभी शरणस्थली पर सामुदायिक रसोई के लिए भी आवश्यक तैयारी कर ली गई है। फिलहाल, जिला अंतर्गत सभी 17 प्रखंडों के वर्षामापक यंत्र कार्यरत हैं। वर्षापात की दैनिक निगरानी की जा रही है। जिला अंतर्गत बहने वाली नदियों के स्थलों पर जलस्तर की त्वरित सूचना प्राप्ति हेतु आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं तथा नदियों के जलस्तर पर अभी से ही निगरानी रखी जा रही है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर सभी प्रखंडों के लिए नोडल पदाधिकारी नामित किए जा चुके हैं। जिला स्तर से प्रखंड स्तर एवं पंचायत स्तर तक पदस्थापित कार्यरत पदाधिकारियों, कर्मियों व जनप्रतिनिधियों से दूरभाष और वाट्सएप के माध्यम से संपर्क स्थापित हेतु कम्युनिकेशन प्लान तैयार कर लिया गया है। बैठक में डीडीसी तरनजोत सिंह, निदेशक डीआरडीए मुमुक्ष चौधरी, एडीएम महेश कुमार दास आदि उपस्थित थे। सरकारी नाव के साथ प्रावइट नाव व अन्य जरूरी इंतजाम
डीएम ने यह भी कहा कि बाढ़ पूर्व तैयारियों के सिलसिले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से भी संवाद स्थापित कर आवश्यक तैयारी कर ली गई है। जिला अंतर्गत 76 सरकारी नाव एवं 10 इनफ्लैटेबल मोटरबोट उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त 20 निजी नाव मालिकों के साथ एकरारनामा कर लिया गया है। अंचलों में उपलब्ध सरकारी नाव का भौतिक सत्यापन करा लिया गया है। नाव का भाड़ा दर निर्धारित है। वर्तमान में जिला अंतर्गत कुल 34675 पॉलीथिन शीट्स उपलब्ध हैं तथा अतिरिक्त 20,000 पॉलीथिन शीट्स की अधियाचना की गई है। राहत सामग्री एवं पशु चारा के लिए निविदा निकाली गई है। अनुसूचित जाति/जनजाति निराश्रित, दिव्यांगों, बीमार व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं की सूची तैयार कर ली गई है। जिले में 4 सेटेलाइट फोन कार्य कर रहा है। जिला अंतर्गत स्थाई बाढ़ आश्रय स्थल के लिए 10 स्थान चिन्हित किए गए हैं जिनमें भवन प्रमंडल द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है। बाढ़ में पीने के लिए शुद्ध जल व इलाज का भी बंदोबस्त
शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु पंचायतों में क्लोरीन टेबलेट के साथ-साथ आवश्यकतानुसार पीएचईडी के माध्यम से सभी शरणस्थलों के चापाकल की जांच भी करा ली गई है। जिला अंतर्गत सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर क्लोरीन टेबलेट, ओआरएस घोल पॉकेट, हाइलोजन टेबलेट, एंटीबॉडी की सुई, एंटीबॉडी दवाइयां, ब्लीचिग पाउडर एवं अन्य जीवन रक्षक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। मोबाइल मेडिकल टीम एवं मेडिकल कैंप की रूपरेखा तय कर ली गई है। बाढ़ पूर्व सभी सड़कों की मरम्मति करा लेने का भरोसा
जिले में दो महाजाल के साथ जनरेटर सेट, पेट्रोमैक्स का आकलन कर मैपिग कर लिया गया है। जिला अंतर्गत सभी मुख्य सड़क के यातायात के लिए सुगम है। प्रखंड से पंचायतों को जोड़ने वाली क्षतिग्रस्त सड़कों को मरम्मत के लिए चयनित कर लिया गया है। गृहरक्षा वाहिनी द्वारा राहत एवं बचाव कार्य में प्रशिक्षित 13 गृहरक्षकों तथा मोटर बोट परिचालन में प्रशिक्षित 13 गृहरक्षकों की सूची तैयार कर ली गई है। एसडीआरएफ की एक यूनिट जिला में प्रतिनियुक्त है। जिसमें 34 कार्यबल उपलब्ध हैं। प्रशिक्षित गोताखोरों की सूची तैयार कर ली गई है। 10 अंचलों के प्रत्येक पंचायत से 50-50 की संख्या में कुल 3300 युवकों को राहत बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त 200 आपदा मित्र को भी प्रशिक्षित किया गया है राहत एवं बचाव दल का गठन कर लिया गया है। जिले में मनुषमारा नदी का उड़ाही का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।