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मिथिला महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि, महात्मा गांधी को भी मिला था सत्य, अहिसा और ईश्वर का दर्शन

सीतामढ़ी। महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय एवं चंद्रधारी संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय सप्ताह के अंतर्गत पहले दिन बुद्ध जयंती समारोह का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 12:29 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 12:29 AM (IST)
मिथिला महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि, महात्मा गांधी को भी मिला था सत्य, अहिसा और ईश्वर का दर्शन
मिथिला महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि, महात्मा गांधी को भी मिला था सत्य, अहिसा और ईश्वर का दर्शन

सीतामढ़ी। महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय एवं चंद्रधारी संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय सप्ताह के अंतर्गत पहले दिन बुद्ध जयंती समारोह का आयोजन किया गया।

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इसकी अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध धरोहर सेनानी रामशरण अग्रवाल ने कहा कि मिथिला के पश्चिमी भाग रामपुरवा से बुद्ध का मिथिला भ्रमण आरंभ हुआ तथा उनकी कर्मभूमि मिथिला ही रही थी। करीब ढाई हजार वर्षों के बाद इसी भूमि पर बुद्ध की तरह महात्मा गांधी को भी शांति मिली थी तथा सत्य, अहिसा एवं ईश्वर का दर्शन हुआ था।

अग्रवाल ने कहा कि वृहद् विष्णुपुराण में वर्णित मिथिला की लक्ष्मणा अर्थात लखनदेई नदी जो मृतधारा हो गई थी उसे पुनर्जीवित करने में स्थानीय जनता तथा कुछ पदाधिकारियों का भरपूर सहयोग मिला। इसके लिए उन्हें पंद्रह हजार से अधिक किलोमीटर की यात्रा अपनी गाड़ी से करनी पड़ी है। उनके द्वारा लखनदेई बचाओ अभियान मे किए गए प्रयासों का विस्तार से प्रकाश डाला गया।

चंद्रधारी संग्रहालय में मिथिला की बुद्ध प्रतिमाएं एवं संग्रहालय विषयक चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ भी उनके द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में मूर्ति विशेषज्ञ डॉ. सुशांत कुमार द्वारा मिथिला के प्रत्येक संग्रहालयों मे संगृहीत बौद्ध प्रतिमाओं के विषय मे विस्तार से उल्लेख किया गया। उनके द्वारा करियन, महिसी, अंधराठाढ़ी, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सहरसा, वैशाली आदि की बौद्ध प्रतिमाओं की निर्माण कला पर चर्चा की गई। संग्रहालयध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि पूर्व मध्य काल मे मिथिला में बौद्ध धर्म सनातन धर्म मे समाहित हो गई इसीलिए पुराणों के अलावा वर्णरत्नाकर में भी बुद्ध को विष्णु के नवम अवतार मान लिया गया। सनातन धर्म के साथ साथ बौद्ध प्रतिमाओं का पूजा करना इस बात का प्रमाण है कि मिथिला में धार्मिक सहिष्णुता की परंपरा रही है। मिथिला के प्राकृतिक धरोहर लखनदेई को बचाने में सफलता प्राप्त करने वाले रामशरण अग्रवाल को प्रो. श्रवण कुमार चौधरी द्वारा पाग एवं शॉल से सम्मानित किया गया। प्रो. विद्यानाथ झा,डॉ. अवनींद्र कुमार झा, मंजर सुलेमान, ललित कुमार सिंह, प्रो. अमिताभ कुमर, कल्पना मिश्र, मुरारी कुमार झा एवं शास्वत मिश्र ने भी बुद्ध के जीवन पर चर्चा की। आगत अतिथियों द्वारा संग्रहालय परिसर में आम का पौधा लगाया गया। इस अवसर पर दीर्घा सहायक चंद्रप्रकाश, शोध छात्रा पूर्णिमा कुमारी, विजेन्द्र मिश्र, अनिकेत कुमार, संतोष कुमार, मणिशंकर के अलावा अनेक गगयमान्य व्यक्ति एवं संग्रहालयकर्मी उपस्थित हुए।


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