प्रारंभिक स्कूल खुलने से बच्चों का उत्साह चरम पर, कोरेाना गाइडनलाइन ताक पर
सीतामढ़ी। कोरोना काल में 11 माह बाद प्राथमिक विद्यालय खुले तो बच्चों का उत्साह देखते ही बन रह
सीतामढ़ी। कोरोना काल में 11 माह बाद प्राथमिक विद्यालय खुले तो बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था मगर, कोरोना गाइडलाइन का गिने-चुने विद्यालयों में ही पालन हो सका। अधिकतर विद्यालयों में मास्क गायब रहे। बच्चे इस उम्मीद में विद्यालय चले आए कि वहां मास्टर जी मास्क देंगे। पता चला जीविका दीदियों ने मास्क भेजा हीं नहीं। जीविका दीदियों को ही सरकार की ओर इसकी जिम्मेवारी दी गई थी। विद्यालय में प्रवेश करते समय डिजिटल थर्मल स्कैनर से बच्चों की जांच, हाथ धुलाई एवं सैनिटाइजर का उपयोग बच्चों के साथ शिक्षक-स्टाफ, अभिभावक सबके लिए अनिवार्य किया गया है। विद्यालय परिसर में समुचित साफ-सफाई पर जोर देना है। खैर, पहले ही दिन अधिकतर विद्यालयों में उसकी धज्जियां उड़ती ही दिखीं। इन तस्वीरों में आप विद्यालयों में इंतजाम का हाल देख-समझ सकते हैं। हालांकि, कुछ वैसे विद्यालय भी सामने आए हैं जिन्होंने आदर्श उदाहरण भी पेश किया। राप्रावि जानकी स्थान, उर्दू, सीतामढ़ी में पढ़ने पहुंचे छात्र-छात्राओं की डिजिटल थरमल स्कैनर से खुद प्रधानाध्यापक विवेक कुमार व वरीय शिक्षक उदय नारायण सिंह जांच करते हुए दिखाई पड़े। सुरक्षा मास्क उन्होंने पहन रखा था। बच्चों के हाथों को सैनिटाइज करवाया गया। फिर उनकी डिजिटल थर्मल स्कैनर से स्क्रीनिग की गई। उनको मास्क दिए गए। इस अवसर पर रसोइया नखिमा खातून एवं रोशनी खातून भी मास्क पहनी हुई थीं। विद्यालय खुलने पर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और काफी उत्साह देखा गया। आदर्श विद्यालय नाम का, कम उपस्थिति के बावजूद व्यवस्था दुरुस्त नहीं रुन्नीसैदपुर, संस : आदर्श मध्य विद्यालय सैदपुर की उपस्थिति पंजी से पता चला कि एक से पांचवीं कक्षा के कुल 435 छात्र-छात्राओं में से 143 बच्चे उपस्थित हो पाए। नियमत : 215 उपस्थिति रहनी चाहिए। जिसमें 30 फीसद बच्चे पहुंच पाए। कोविड-19 के मद्देनजर साफ-सफाई, डिजिटल थर्मामीटर, सैनिटाइजर, साबुन व शारीरिक दूरी के संबंध में जारी गाइडलाइन के अनुपालन की जवाबदेही विद्यालय शिक्षा समिति को दी गई है। बावजूद कुछ बच्चे मास्क व कपड़े से चेहरे ढ़के हुए नजर आए तो अधिकतर बिना मास्क के दिखाई पड़े। यह आदर्श मध्य विद्यालय कहलाता है, लेकिन स्थिति आदर्श नहीं दिखीं। प्रधानाध्यापक मनोज कुमार ने मास्क के अभाव के बारे में कहा कि जीविका दीदियों ने उपलब्ध नहीं कराया। साफ-सफाई, साबुन व सैनिटाइजर की व्यवस्था कराने की बात उन्होंने बताई। थर्मल स्क्रिनिग के लिए डिजिटल थर्मामीटर नहीं मिल पाया। फंड के अभाव के बावजूद खरीद के लिए ऑडर दिया जा चुका है। शारीरिक दूरी का पालन इसलिए नहीं हो पाया कि बेंच-डेस्क ही कम हैं, बच्चों को कहां बैठाया जाए। वहीं स्टाफ रूम में बैठी शिक्षिकाएं गाइडलाइंस से बेपरवाह दिखीं। बीईओ इंद्रशेखर ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, यह विद्यालय उनके कार्यालय से महज कुछ कदमों की दूरी पर है।