घर-घर बन रहे शौचालय, पर नहीं बदल रही पुरानी आदत
सीतामढ़ी। बथनाहा खुले में शौच की आदत को समाप्त करने की दिशा में स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2017 में प्रखंड की पंचायतों में भी घर -घर शौचालय बनाने का अभियान शुरू हुआ।
सीतामढ़ी। बथनाहा, खुले में शौच की आदत को समाप्त करने की दिशा में स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2017 में प्रखंड की पंचायतों में भी घर -घर शौचालय बनाने का अभियान शुरू हुआ। साथ ही इसके एवज में सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि के तौर पर 12 हजार रुपये देने की घोषणा की गई थी। इसके बाद कई पंचायतों को ओडीएफ घोषित भी किया गया। लेकिन, धरातल पर हकीकत कुछ और ही नजर आ रहा है। इस उपलब्धि को हासिल करने की होड़ में जिन पंचायतों को खुले में शौच मुक्त घोषित करवा दिया गया, वहां की सुबह की तस्वीर वही पुरानी वाली ही दिख रही है। दैनिक जागरण की टीम ने प्रखंड की मटियार कला पंचायत में इसकी हकीकत की पड़ताल की तो सामने आया सच। कई वार्ड, मोहल्ले में आज भी लोग खुले में सड़क किनारे शौच जा रहे हैं। हद तो यह कि जिस घर में शौचालय का निर्माण हुआ है, उस घर के लोग भी खुले में शौच करने की आदत नहीं बदल रहे हैं। बताया जाता है कि इस पंचायत में 1100 परिवार में शौचालय निर्माण कराए गए। खुले में शौच मुक्त घोषणा के बाद करीब 350 की संख्या में लोगों ने शौचालय बनवाए, लेकिन लाभुकों की माने तो काफी संख्या में लोगों को शौचालय निर्माण पूरा करने के महीनों बाद भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाई है। इसके लिए लोग पंचायत से लेकर प्रखंड तक आज भी चक्कर लगाने को विवश हैं। बताया यह भी जाता है कि कई लोगों ने कर्ज लेकर शौचालय बना लिया लेकिन, राशि नही मिलते देख दूसरे लोग चाहकर भी शौचालय निर्माण में रुचि नहीं ले रहे हैं। ग्रामीण राम सुंदर ठाकुर, सेवा निवृत्त सैनिक जय किशोर सिंह, विकास झा, ललन राय, गोविद साह,उपेंद्र साह,विनोद राय, धरवेंद्र कुमार,हरि नरायण राम हरिदर पासवान सहित अन्य कई लोगों ने बताया कि प्रोत्साहन राशि भुगतान के लिए जिन लोगों द्वारा जियो टैगिग के दौरान हजार दो हजार रुपये तक वसूले गए। जिन्होंने रुपये दिया उनके खाते में प्रोत्साहन राशि पहुंच गई। लेकिन, रुपये नहीं देने वाले कई लोगों को अब तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। ऐसे लोग आज तक प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। क्या कहते हैं मुखिया : मुखिया धरखन महतो ने बताया कि पंचायत तो खुले में शौचमुक्त घोषित हो गया है, लेकिन अब भी कुछ लोग इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसमें अधिक संख्या में दलित-महादलित व गरीब परिवार की है। जो गरीबी का हवाला देते हैं। उन्होंने बताया कि इस दिशा में जोर शोर से कार्य चल रहा है। लोगों को भी जागरूक होना होगा तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा होगा। इसके लिए हमारा प्रयास जारी है।