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इंडो-नेपाल बॉर्डर पर मुआवजे के लिए जेसीबी के आगे सो गए किसान

इंडो-नेपाल बॉर्डर पर सड़क निर्माण के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित कर उसका उचित मुआवजा नहीं देने को लेकर बवाल छिड़ गया है। सड़क निर्माण के लिए आई जेसीबी के आगे किसान सो गए और काम आगे बढ़ने से रोक दिया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:55 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 11:55 PM (IST)
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर मुआवजे के लिए जेसीबी के आगे सो गए किसान
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर मुआवजे के लिए जेसीबी के आगे सो गए किसान

सीतामढ़ी । इंडो-नेपाल बॉर्डर पर सड़क निर्माण के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित कर उसका उचित मुआवजा नहीं देने को लेकर बवाल छिड़ गया है। सड़क निर्माण के लिए आई जेसीबी के आगे किसान सो गए और काम आगे बढ़ने से रोक दिया। बॉर्डर पर बवाल की सूचना के बाद सुरसंड प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक हड़कंप मच गया। तत्काल पुलिस व अधिकारियों का दल पहुंच गया। भारी मशक्कत के बाद भी बात नहीं बनी। लिहाजा, अंतरराष्ट्रीय महत्व का यह सड़क निर्माण कार्य रूक गया है। सुरसंड प्रखंड के श्रीखंडी भिट्ठा गांव स्थित कंटाही एनएच-104 से भिट्ठा बाजार के गांधी नगर, चकनी तक इंडो-नेपाल बॉर्डर पर सड़क निर्माण होना है। किसानों से उनकी जमीन तो ले ली गई लेकिन, उसका उचित मुआवजा उन्हें नहीं मिल सका है जसका वे विरोध जता रहे हैं। निर्माण शुरू कराने को लेकर पुपरी अनुमंडल के सभी प्रखंडों के बीडीओ, सीओ, भूमापक, राजस्व कर्मचारी, सभी थानाध्यक्ष समेत जिला मुख्यालय से भी भारी पुलिस बल की मौजूदगी में किसी तरह निर्माण कार्य शुरू कराने का प्रयास किया गया। लेकिन, किसानों के पुरजोर विरोध के कारण यह संभव नहीं हो सका। किसान इंद्रकांत झा व अमरकांत झा जेसीबी के पहिए के आगे सो गए। किसानों को मनाकर काम शुरू कराने उमड़ा पूरा पलटन

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सुरसंड के प्रभारी थानाध्यक्ष अजय कुमार मिश्रा, बीडीओ देवेंद्र कुमार, नानपुर बीडीओ चंद्रमोहन पासवान ने समझाया तो दोनों किसान उठकर बातचीत के लिए राजी हुए। अधिकारियों से बत की। एसडीओ नवीन कुमार व एएसपी प्रमोद कुमार यादव को किसानों ने कहा कि रातभर का समय दिया जाए, हम सभी किसान आपस में मिल बैठकर विचार करेंगे। लेकिन, निबंध कार्यलय के शुल्क के हिसाब से भुगतान किया जाए और प्राधिकार से मुकदमा को समाप्त किया जाए। किसानों ने कहा कि सरकार निबंधन कार्य में दो लाख रुपये प्रति डिसमिल शुल्क लेती है। जबकि, जमीन का मुआवजा 22 हजार रुपये प्रति डिसमिल दे रही है। यह किसानों के साथ नाइंसाफी है। हमलोग छोटे किसान हैं, जमीन ही हमारा जीविकोपार्जन का साधन है। हमलोगों की जमीन 2014 में अधिग्रहित की गई। भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा निर्धारित राशि संतोषजनक नहीं होने के कारण हमलोग जिला स्तरीय प्राधिकार में चले गए। कुछ दिनों पूर्व किसानों द्वारा चकनी में सड़क निर्माण रोका गया तो एडीएम मुकेश कुमार के नेतृत्व में भिट्ठा बाजार में किसान एवं प्रशासनिक अधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई थी। जिसमें पदाधिकारियों ने उचित मुवावजा भुगतान दिलाने का आश्वासन दिया था। तब तक केस प्राधिकार में था। आज भी यह मामला प्राधिकार में ही है।


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