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डीलर ने खोला खाद्यान्न घोटाले का राज, नीचे से उपर तक कैसे होता पूरा खेल

सरकारी राशन की बंदरबाट हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 12:26 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 12:26 AM (IST)
डीलर ने खोला खाद्यान्न घोटाले का राज, नीचे से उपर तक कैसे होता पूरा खेल
डीलर ने खोला खाद्यान्न घोटाले का राज, नीचे से उपर तक कैसे होता पूरा खेल

सीतामढ़ी। सरकारी राशन की बंदरबाट हो रही है। नीचे से उपर तक लूट मची है। जन वितरण प्रणाली की दुकान से प्रखंड व जिला आपूर्ति कार्यालय तक लूट का एक चेन बना है। सरकार व प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद गरीबों के निवाले की हकमारी धड़ल्ले से हो रही। डीलर और बिचौलिए स्थानीय स्तर पर राशन हजम कर रहे हैं। एक राशन कार्ड पर मिलने वाला 35 किलो अनाज लाभुकों के हाथ तक पहुंचते-पहुंचते 30 किलो हो जाता है। रविवार को दैनिक जागरण की ऑन द स्पॉट पड़ताल में राशन वितरण में गड़बड़ी का पूरा खेल सामने आ गया। मधुरापुर पंचायत के वार्ड नंबर-2 संडवारा गांव में राशन वितरण के दौरान इस संवाददाता ने डीलर व उपभोक्ताओं से अलग-अलग बात की। उपभोक्ता नगीना खातून ने डीलर के सामने ही राशन में घपलेबाजी की पोल खोलकर रख दी। महिला अंतोदय कार्डधारी है। एक कार्ड पर सात लाभुकों के नाम अंकित हैं। सरकार के निर्देश के मुताबिक अंत्योदय कार्डधारी को 21 किलो चावल व 14 किलोग्राम गेहूं मिलना है यानी, कुल 35 किलोग्राम खाद्यान्न। महिला का कहना था कि उसे 18 किलो चावल व 12 किलोग्राम गेहूं मिलता है। डीलर ने बताया नीचे से उपर तक बहुत लोगों का हिस्सा बनता है। उस हिसाब से काट छांटकर लाभुक को दिया जाता है। चालाकी से घर पर ले लिया जाता पॉश मशाीन से अंगूठे का निशान राशन की दुकान से ई-पीओएस मशीन के जरिए राशन बांटने का नियम है। इस मशीन के जरिए कार्डधारी के अंगूठे से मिलान करने के बाद खाद्यान्न दिया जाना है। इसीलिए कार्डधारी को आधार से लिक किया गया है। कहने के लिए राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए ई-पीओएस प्रणाली लागू की गई है मगर सब लोगों ने मिलकर इसका भी काट निकाल लिया है। इस दुकान पर पॉस मशीन नहीं होने का कारण पूछने पर डीलर का कहना था कि भीड़ से बचने और सबको जल्दी-जल्दी राशन देने के लिए लाभुकों को घर पर बुलवाकर अंगूठे का निशान ले लिया जाता है। फिर दुकान पर बुलाकर राशन दिया जाता है। एफसीआइ के गोदाम से शुरू हो जाती कटौती

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फिर हमने डीलर से सवाल किया कि 35 किलोग्राम के बदले 30 किलो अनाज क्यों दिया जा रहा तो डीलर ने सारी गणित समझा दी। डीलर का कहना था कि डीलर संघ के अध्यक्ष का कमीशन प्रत्येक क्विटल पर 50 रुपये के हिसाब से तय है। एफसीआइ गोदाम से ही अनाज की कटौती शुरू हो जाती है। जैसे एफसीआइ 51.5 किलोग्राम गेहूं की बोरी में से डेढ़ किलो निकालकर 50 किलो देता है। उसी तरह 50 किलोग्राम चावल की बोरी में 47 से 48 किलोग्राम ही अनाज रहता है। इसकी भरपाई लाभुकों से करनी पड़ती है। कई लोगों ने गुमनानी की शर्त पर बताया कि पीएचएच कार्ड धारकों को भी कम राशन मिलता है। प्रति यूनिट आधा किलो अनाज कम रहता है। इस डीलर का दूसरा कारोबार गांव में दुग्ध उत्पादन भी है। दुग्ध उत्पादन केंद्र पर ही पीडीएस की दुकान चलती है। दुकानदार बहुधंधी हैं जिससे उनके बदले दुकान उनका पुत्र ही संभालता है। रविवार को उनका पुत्र ही दुकान संभाल रहा था।


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