बिक्री के नए अंदाज से संभल रहा मिठाई-नमकीन का कारोबार, सुरक्षा मानकों का रखा जा रहा ख्याल
लॉकडाउन के कारण बाजार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी है।
सीतामढ़ी। लॉकडाउन के कारण बाजार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी है। जिसके कारण व्यावसायिक वर्ग में घोर निराशा और हताशा का माहौल व्याप्त है। इसी में शामिल है मिठाई व नमकीन का कारोबार भी जो लॉकडाउन की मार से अभी तक उबर नहीं पाए हैं। हालांकि, कई व्यवसायियों ने कोरोना काल में मिठाई व नमकीन बनाने में खास एहतियात बरते जिससे उनके यहां तैयार उत्पादों की मांग बरकरार है। कोरोना काल में दूसरे व्यवसायों के साथ ही मिठाई व नमकीन भंडारों पर भी प्रभाव पड़ा है। इन संस्थानों द्वारा अपना कारोबार पटरी पर लाने के लिए सुरक्षा के सारे नियमों का पालन करने के साथ ही बिक्री का नया अंदाज भी पेश किया जा रहा है। उपभोक्ता भी इसे काफी पसंद कर रहे हैं। वैसे कारोबारियों का भी कहना है कि अब धीरे-धीरे इन बदलावों के चलते कारोबार पटरी पर लौटने लगा है। इसके साथ ही अब मिठाइयों में उनके बनने की तारीख या उपयोग करने की तारीख भी बताई जा रही है। ग्राहकों और काउंटर के बीच दूरी बनाने के लिए रेलिग लगा दी गई है। बिना मास्क के किसी का भी प्रवेश नहीं है। साथ ही संस्थान में शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए ग्राहकों की भीड़ नहीं होने दी जा रही है। सीतामढ़ी कोर्ट कैंपस के मिठाई दुकानदार सोनू कुमार वर्मा, शंकर चौक के मस्तान, कुमार चौक के सुनील, अनिल, कैलाशपुरी के शंभू व मेघनाथ, विश्वनाथपुर के गणेश कुमार आदि की मिठाइयां बड़े चाव से लोगों ने खाई और खरीदी। दूसरी ओर मिष्टान व नमकीन के कई व्यवसायियों का कहना है कि दुकानें खुल भी गई हैं, लेकिन ग्राहक काफी कम पहुंच रहे हैं। परिणामस्वरूप दुकानों में पहले की तरह कारीगरों की ज्यादा जरूरत नहीं रह गई है। कारोबार से जुड़े दुकानदार, कारीगर व मिठाई परोसने वाले मजदूर बेरोजगार हो गए हैं और उनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
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बाजार में तेजी की उम्मीद लगाए बैठे हैं कारोबारी
मिठाई बाजार में रौनक नहीं आने का मुख्य कारण लोगों में संक्रमण का डर है। लोग खाने-पीने के सामान की खरीदारी में ज्यादा सतर्कता बरत रहे हैं। कारोबारी बताते हैं की ताजा मिठाईयां रखी जा रही हैं फिर भी ग्राहकों को संदेह रहता है। उम्मीद थी की लॉकडाउन के बाद कारोबार अच्छा चलेगा लेकर घोर मंदी की स्थिति है। शहरी और आस-पास के क्षेत्रों में छोटे-बड़े 50 से अधिक मिठाई की दुकानें संचालित हैं। उधर, नमकीन के प्रत्यक्ष उत्पादन से 20 हजार लोग जुड़े है। वहीं अप्रत्यक्ष रूप से 50 हजार से अधिक परिवार जुड़े हैं। ये सिर्फ नमकीन व्यापारी नहीं, बल्कि कारीगर, मजदूर, सेल्समैन, मार्केटिग स्टाफ, लोडिग, परिवहन, फुटकर विक्रेता, ग्रामीण दुकानदार, दाल, बेसन, तेल, मसाले वाले, पैकिग इंडस्ट्री वाले,चक्की वाले जैसी लंबी श्रृखंला है इनकी।