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जेल के अंदर भी बिखरी छठ की छटा, 35 पुरुष व 19 महिला बंदियों ने किए छठ व्रत

सीतामढ़ी मंडल कारा के अंदर भी छठ पर्व की छटा खूब बिखरी। 35 पुरुष व 19 महिला बंदियों ने छठ व्रत किए। छठ पर्व को लेकर बंदियों की आस्था व श्रद्धाभक्ति के साथ उनका उल्लास देखते ही बन रहा था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 01:12 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 01:12 AM (IST)
जेल के अंदर भी बिखरी छठ की छटा, 35 पुरुष व 19 महिला बंदियों ने किए छठ व्रत
जेल के अंदर भी बिखरी छठ की छटा, 35 पुरुष व 19 महिला बंदियों ने किए छठ व्रत

सीतामढ़ी। सीतामढ़ी मंडल कारा के अंदर भी छठ पर्व की छटा खूब बिखरी। 35 पुरुष व 19 महिला बंदियों ने छठ व्रत किए। छठ पर्व को लेकर बंदियों की आस्था व श्रद्धाभक्ति के साथ उनका उल्लास देखते ही बन रहा था। जेल प्रशासन की ओर से छठ व्रतियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी. जेल प्रशासन के साथ बंदियों ने छठी मईया की पूजा-अर्चना की। प्रशासन की ओर से डीपीआरओ परिमल कुमार अपनी धर्मपत्नी कुमारी अनिता सिंह प पुत्री शांभवी सौम्या के साथ बंदियों की छठ पूजा देखने पहुंचे। जेल अधीक्षक राजेश कुमार राय व जेलर के साथ तमाम जेलकर्मियों ने बंदियों की छठ पूजा में हर संभव सहयोग किया। डीपीआरओ ने बताया कि जेल के अंदर ही भव्य तालाब है जिसपर बंदियों ने पूजा घाट बनाकर भव्य और आकर्षक बनाया था। महिला बंदियों ने अदभुत रंगोलीभी बनाई थी जो बरबस ही ध्यान खींच रही थी. जेल प्रशासन की तरफ से पूजा-अर्चना के लिए पूजन सामग्री सहित सभी सुविधा उपलब्ध कराई गई। नहाय खाय के साथ खरना के लिए खास तौर पर पारंपरिक प्रसाद बनाए गए थे। छठ पूजा में अ‌र्ध्य अर्पित करने के लिए ठेकुआ, खजूर, पुड़ी समेत सभी आवश्यक पूजन सामग्री तैयार कराई गई थी. महिला-पुरुष बंदियों के बीच साड़ी व अन्य वस्त्र, सूप, दउरा, फल पूजन की सामग्री के अलावा छठ व्रत के जरूरत के सामान का वितरण किया गया। बंदियों को वस्त्र भी भेंट किए गए। जेल के अंदर बंदियों की पूजा-अर्चना में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। इतना ही नहीं पर्व के समापन के बाद पारण के लिए भी खास व्यंजन बनाए गए थे। खास बात यह भी रही कि कोविड-19 के मद्देनजर बंदियों ने शारीरिक दूरी का पालन करते हुए यह अनुष्ठान किया, उन लोगों ने मास्क भी पहन रखा था। हिदू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने इस पर्व में हाथ बंटाए और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की। सदभावना के साथ छठ घाट का उन्होंने निर्माण किया। घाट का सौंदर्यीकरण किया तथा उसके किनारे केले का थम गाड़े और उस स्थान की गोबर से लिपाई की। घाट की साज-सज्जा में मिल जुलकर हाथ बंटाए। घाट पर रंग-बिरंगी रोशनी का बंदोबस्त किया गया था। उधर, छठ के पारंपरिक लोकगीत बज रहे थे।

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