टूटी जातीय दीवार, परिणय सूत्र में बंधे प्रेमी युगल
सीतामढ़ी। कहते हैं प्रेम के आगे हर दीवार टूट जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ एक प्रेमी युगल के मामले में। इसमें साहसी प्रेमिका का संघर्ष रंग लाया। प्यार की जीत हुई और ससुराल के लोग मान गए।
सीतामढ़ी। कहते हैं प्रेम के आगे हर दीवार टूट जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ एक प्रेमी युगल के मामले में। इसमें साहसी प्रेमिका का संघर्ष रंग लाया। प्यार की जीत हुई और ससुराल के लोग मान गए। इसके बाद बिना लग्न व शहनाई के कोर्ट में अभिषेक और मेघा अंतरजातीय विवाह रचा एक दूजे के हो गए।
जानकारी के अनुसार, हरदिया पंचायत के रामपुर पचासी वार्ड 10 निवासी अभिषेक मंडल और इसी वार्ड के कापड़ टोल निवासी मेघा कुमारी दो वर्ष पहले मिले और पहली मुलाकात में ही एक-दूसरे को दिल दे बैठे। मोबाइल पर ही प्यार परवान चढ़ा। दोनों ने सात जन्म तक साथ निभाने का संकल्प लिया और चोरी चुपके एक दूजे के साथ मरने जीने की कसम खाई। लेकिन, मामला सामने आने के बाद मेघा के आसपास रहने वाले जाति के लोगों को यह नागवार गुजरने लगा और विरोध शुरू हो गया। बकौल मेघा रविवार की रात पड़ोसी रिश्तेदार अभिषेक के घर पहुंच गाली-गलौज कर धमकी दी। विरोध में मारपीट भी हुई और मामला थाने जा पहुंचा। जहां मामला बिगड़ते देख लड़की पक्ष की ओर से विरोध करने वालों द्वारा पंचायत की पहल हुई। इसमें सीमित पंचों के बीच गुरुवार को मेघा राजी हो गई। बताते चलें कि मेघा को कोई भाई नहीं है। उसके पिता उपेंद्र कापड़ बाहर रहकर किसी कंपनी में नौकरी करते हैं। मेघा अपनी मां के साथ नानी गांव में रहती है। जबकि, अभिषेक के पिता नागेन्द्र मंडल पिछले कुछ समय से इसी गांव में पैतृक घर में रहते हैं। चर्चा है कि लड़का पक्ष ने यह कदम उठाकर न सिर्फ सूबे की सरकार की अंतरजातीय विवाह की पहल को आगे बढ़ाया है, बल्कि दोनों ने परिणय सूत्र में बंध कर रूढ़ीवादी विचारधाराओं को झूठा साबित कर दिखाया। बहरहाल, अनुमंडल कोर्ट में विवाह रचाने के बाद दोनों नागेश्वरस्थान मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की। जहां वर पक्ष के अलावा पंचायत के सरपंच सुमन कुमार कंचन, सूचना पाकर पहुंचे दारोगा सीडी पासवान सहित अन्य ने आशीर्वाद दिया। शादी के बाद मेघा अपने पति अभिषेक के साथ ससुराल चली गई।