Move to Jagran APP

ढाब टोला में पुल न सिचाई वादे सब हवा-हवाई

रीगा प्रखंड जिला का एकमात्र औद्योगिक क्षेत्र को अपने अंदर समेटे हुए है। यहीं पर है चीनी मिल बावजूद इस प्रखंड में कई इलाके में आज भी लोग चचरी पुल के सहारे आवागमन करने को विवश हैं तो किसानों के लिए सिचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 12:23 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 12:25 AM (IST)
ढाब टोला में पुल न सिचाई वादे सब हवा-हवाई
ढाब टोला में पुल न सिचाई वादे सब हवा-हवाई

सीतामढ़ी। रीगा प्रखंड जिला का एकमात्र औद्योगिक क्षेत्र को अपने अंदर समेटे हुए है। यहीं पर है चीनी मिल, बावजूद इस प्रखंड में कई इलाके में आज भी लोग चचरी पुल के सहारे आवागमन करने को विवश हैं तो किसानों के लिए सिचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं है। शासन व प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों द्वारा विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन धरातल पर स्थिति इससे उलट दिखती है। सिचाई के लिए कई परियोजना पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाए गए लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। एक बार फिर चुनावी बयार बह रही है और विभिन्न राजनीतिक दलों के नुमाइंदों द्वारा वादे और आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन यह कितना फलीभूत होगा यह तो भविष्य के गर्त में हैं क्योंकि पूर्व से भी जनता ऐसे आश्वासनों एवं वादों का हश्र देख चुकी है। ढाब टोला के लोगों के लिए आज भी चचरी ही सहारा:

loksabha election banner

वर्ष 1990 में स्लुइस गेट बनाया गया था ढाब टोला के लोग उसी स्लुइस गेट के रास्ते से आया जाया करते थे वर्ष 1993 में आई बाढ़ में गेट ध्वस्त हो गया। ध्वस्त होने के बाद लोगों के लिए आवागमन की गंभीर समस्या खडी हो गइर्। महीनों तक लोग गांव से बाजार नहीं आ जा सके। उसके बाद लोगों द्वारा चचरी पुल बनाया गया और उसी पुल के सहारे आना जाना प्रारंभ कर दिया। इतना ही नहीं इस पुल से गिरकर अब तक कई लोग घायल हो चुके हैं तो कई जानें भी जा चुकी है। छोटे-छोटे बच्चे को इसी चचरी पुल के सहारे स्कूल जाना पड़ता है । आजादी के 71 बर्ष बाद भी लोगों को पुल की सुविधा नसीब नहीं हो सकी। ढाब टोला के मरनी देवी, संगीता देवी, सुनीता देवी, हलखोरी सहनी, बिकाऊ सहनी, फागुनी सहनी, बंगाली सहनी, सुमन सहनी, रघुनी सहनी, वीरेंद्र सहनी, सुखलाल सहनी, अमित सहनी सहित दर्जनों लोग बताते हैं कि 4 वर्ष पूर्व स्थानीय विधायक अमित कुमार टुन्ना ने भी चचरी पुल के सहारे आकर हम लोगों से मुलाकात की थी। उसके बाद उन्होंने वादा किया था कि चुनाव जीतने के बाद पहले हम पुल का निर्माण करवाएंगे,लेकिन चुनाव के 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी हम लोगों को पुल नसीब नहीं हो सका ना ही चुनाव के बाद कभी स्थानीय विधायक हम लोगों के गांव पहुंचे और ना ही हम लोगों का दर्द देखने शासन व प्रशासन पहुंची है।

27 लाख से अधिक रुपये लगाए गए पर किसानों को नहीं मिला पानी

करीब 21 वर्ष पहले वर्ष 1996-97 में प्रखंड क्षेत्र के बीचो-बीच बहने वाली पुरानी धार नदी में स्लुइस गेट का निर्माण होने के बाद कुशमारी समेत आसपास के क्षेत्रों में सिचाई सुविधा सुलभ होने की खेतिहर किसानों के बीच उम्मीद जगी थी। जिसमें बागमती के नजरपुर कुसमारी तथा लखनदेई नदी के पोसुआ पटनिया में 9-9 लाख के लागत से स्लुइस गेट का निर्माण किया गया था। निर्माण के बाद ही बाढ़ के कारण एक ही साथ तीनों स्लुइस गेट ध्वस्त हो गया। बताया जाता है लूट खसोट योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य नहीं कराए गए थे। जिस कारण कुल 27 लाख से अधिक रुपये पानी में बह गए और एक बूंद पानी खेतों तक नहीं पहुंची। तब से आज तक कई चुनाव आए और गए लेकिन यह मुद्दा नहीं बन पाया। जनप्रतिनिधि आते रहे, जाते रहे लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए किसी ने भी इस कार्य को कराने की जहमत नहीं उठाई। चुनाव आने पर किसानों को तरह-तरह का सब्जबाग दिखाकर अपने अपने पक्ष में वोट लेते रहे। लेकिन इतने वर्षों बाद भी उस स्लुइस गेट का निर्माण कराना प्राथमिकता में शामिल किया नहीं जा सका है। इसको लेकर क्षेत्र के किसानों में आक्रोष तो पनपता ही रहता है लेकिन जातीय समीकरण के सहारे जनप्रतिनिधि किसी न किसी दल के निर्वाचित होते रहे हैं। देखना है इस बार की इस महत्वाकांक्षी योजना मुद्दा बन पाता है कि नहीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.