रमजान के आखिरी हिस्से में की जाती जहन्नुम की आग से बचने की दुआ : सिराजुद्दीन
सीतामढ़ी। माह-ए-रमजान पर इस बार कोरोना का संकट है। रमजान के दौरान मस्जिदों में की जाने
सीतामढ़ी। माह-ए-रमजान पर इस बार कोरोना का संकट है। रमजान के दौरान मस्जिदों में की जाने वाली पांच वक्त एवं तरावीह की नमाज पर पाबंदी है। ऐसे में मदरसा रजा-ए-मुस्तफा रजा नगर परसौनी के अध्यक्ष सिराजुद्दीन ने लोगों से अपील करते हुए घरों में रहकर ही पांच वक्त तरावीह की नमाज तिलावते कुरान, तस्वीह पढ़कर खुदा की इबादत करने को कहा है। देशभर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। जिस कारण राज्य में पर्व पर सामूहिक आयोजन नहीं हो रहे हैं। फिजिकल डिस्टेंसिग का ध्यान रखते हुए लोग घरों में ही नमा•ा पढ़ रहे हैं। मदरसा रजा-ए-मुस्तफा के अध्यक्ष सिराजुद्दीन ने माहे-ए-रमजान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। शुरुआती 10 दिनों को लेकर कहा जाता है कि इन दिनों में अल्लाह की बेपनाह रहमते लोगों पर बरसती है। अगले 10 रोजे मगफिरत के कहे जाते हैं। जिसमें मुसलमान इबादत कर खुदा से माफी मांगते हैं और आखिरत में जन्नत देने की दुआ करते हैं। वही, रमजान के आखिरी हिस्से में जहन्नुम (नर्क) की आग से बचने की दुआ की जाती है। उन्होंने कहा कि दिनभर भूखे प्यासे रहने का नाम रो•ा नहीं, बल्कि बदन के हर अजवे को काबू में रखने का नाम रो•ा है। रो•ो के दौरान •ाुबान पर काबू हो कि •ाुबान से कुछ भी बुरा नहीं निकले। कानों पर काबू हो कि कानों से बुरा यानी गाने बगैरह न सुनें,हाथों पर भी काबू हो कि हाथों से कोई बुरा काम न करें,पैरों पर भी काबू हो कि पैरों से गलत जगह न जाए इस व़क्त बिना किसी •ारूरत के घर से न निकलें। उन्होंने रम•ान की ़फ•ाीलत के बारे में बताया कि अल्लाह का फरमान है कि रम•ान मेरा महीना है, इस महीने में जो भी मुसलमान रो•ा रखे और नेक काम करे तो उसे इसका सवाब मैं खुद दूंगा।