फिजिकल फिटनेस के लिए लोग यहां आते इसलिए मशहूर हो गई फिजिकल गली
सीतामढ़ी। शहर के गली-मोहल्लों के नामाकरण में भी इतिहास छुपे होते हैं। यहां भी वार्ड-28
सीतामढ़ी। शहर के गली-मोहल्लों के नामाकरण में भी इतिहास छुपे होते हैं। यहां भी वार्ड-28 राजोपट्टी अंतर्गत फिजिकल गली मोहल्ला मशहूर है। लखनदेई नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित यह मोहल्ला मुख्य पथ डुमरा रोड से जुड़ा हुआ है। इस मोहल्ले के वैसे तो और भी कई नाम हैं। अजब नाम की गजब गलियों में एक फिजिकल गली भी है। फिजिकली कोई काम तो यहां रह नहीं गया मगर नाम अपने काम से इतर जेहन पर जरूर याद रह गया है। इस मोहल्ले का नामाकरण स्वामी विवेकानंद नगर के रूप में भी हुआ। चिठ्ठी भी इस पते से आती थी। लेकिन, बाद में इसे फिजिकल गली के रूप में भी लोग जानने लगे। फिजिकल गली के रूप में चर्चित होने के पीछे असल वजह यह है कि वर्ष 1980 के दौर में जब मोहल्ले की आबादी काफी कम थी तब नदी किनारे एक बड़ा मैदान हुआ करता था। जहां लोग मॉर्निंग वॉक की सैर और व्यायाम करने आते थे। इसी जगह फिजिकल कॉलेज संचालित था। प्रशिक्षण प्राप्त करने दूर-दूर से छात्र आते थे। जिससे फिजिकल गली के रूप में इस इलाके की पहचान बन गई। लेकिन, करीब डेढ़ दशक बाद कॉलेज का संचालन यहां से बंद हो गया। कॉलेज के भवन व मैदान में रिहायशी मकान बन गए। कॉलेज का नामोनिशान मिट गया। लेकिन, लोगों की जुबान पर आज भी फिजिकल गली का नाम चढ़ा हुआ है। वैसे आज भी यहां पार्सल व कुरियर फिजिकल गली या स्वामी विवेकानंद नगर के नाम पर पहुंच ही जाती है। इसी गली के अंतिम छोर पर बसी बस्ती को कुछ लोग रिवर वैली कॉलोनी के रूप में भी जानते हैं।
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शिक्षाविदों व संभ्रांत लोगों की है बस्ती
मोहल्लवासी उदय कुमार वर्मा के अनुसार, यह मोहल्ला भी पहले खेत और बगीचा से भरा हुआ था। वर्ष 1959-60 से इक्का-दुक्का लोग जमीन खरीद कर घर बनाने लगे। वर्ष 1980 के बाद से लोगों के बसने का क्रम तेज होने लगा। फिजिकल कॉलेज के कारण लोग इसे फिजकल गली के रूप में जानने लगे। हालांकि, इसका नाम स्वामीविवेकानंद नगर भी रखा गया था। मोहल्ले के गेट पर एक बोर्ड भी लगा था। यह मोहल्ला शुरू से ही शिक्षाविदों के मोहल्ले के रूप में भी जाना जाता है। पूर्व मंत्री व गोयनका कॉलेज के शिक्षक रहे स्व. रघुवंश प्रसाद सिंह की जमीन यहां है। इस गली में सेवानिवृत प्रोफेसर राणा तेजप्रताप सिंह, प्रो. कृष्ण मुरारी प्रसाद सहित कई प्रोफेसर व शिक्षक यहां रह रहे हैं। इसके अलावा स्व.डॉ.पीएन झा, पूर्व विधायक स्व.पीएम अंसारी आदि का भी मकान इस मोहल्ले में है। इस मोहल्ले में अभी दर्जन भर कोचिग संस्थान तथा तीन चिकित्सक डॉ.मदन मोहन ठाकुर, डॉ.बालेश्वर पांडेय एवं डॉ. मनोज का क्लीनिक भी संचालित है। यह गली अब व्यस्ततम गली बन चुकी है।
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शिवहर स्टेट की भी जमीन थी मोहल्ले में
जेएलएनएम कॉलेज सुरसंड के प्रोफेसर व मोहल्ले के निवास प्रो.अजय कुमार झा के अनुसार, उनके पिता स्व.डॉ.पीएन झा वर्ष 1968 में यहां अपना मकान बनाना शुरू किए थे। उस समय इस गली में मुश्किल से छह लोगों का घर था। शेष जगह खेत व बगीचा ही इसकी पहचान थी। इस मोहल्ले में ही एक अल्युमुनियम बर्त्तन बनाने की फैक्ट्री थी। उस समय रात में उसकी आवाज शांत वातावरण में दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी। लेकिन, कालांतर में फैक्ट्री बंद हो गई और उसकी जगह घनी बस्ती और गाड़ियों की आवाजही का शोर होने लगा। भले ही लोग इसे फिजिकल गली के रूप में जानते हैं लेकिन, यहां कोचिग छात्रों एवं मरीजों की आवाजाही ही इसकी पहचान बन चुकी है। यही वजह है कि इस गली में करीब आधा दर्जन दवा दुकान, दो किराना दुकान और एक-दो मोटरसाइकिल वर्कशॉप भी संचालित है। इस गली व मोहल्ले में पूर्व शिवहर स्टेट, व्यवसायी फागू राम, जाबिर हुसैन व सिंहवाहिनी स्टेट की जमीन थी। धीरे-धीरे जमीन बिकती गई और यह मोहल्ला आबाद होता गया। गली के पूर्वी छोर पर मुख्य पथ डुमरा रोड है तो पश्चिमी छोर पर लखनदेई नदी है।