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..और पांच बजते ही शंखनाद, ताली व थाली की आवाज से गूंजा वातावरण

सीतामढ़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर अमल करते हुए जिलेवासियों ने जनता क‌र्फ्यू का समर्थन करने के बाद शाम पांच बजते ही शंखनाद किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2020 06:14 AM (IST)
..और पांच बजते ही शंखनाद, ताली व थाली की आवाज से गूंजा वातावरण
..और पांच बजते ही शंखनाद, ताली व थाली की आवाज से गूंजा वातावरण

सीतामढ़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर अमल करते हुए जिलेवासियों ने जनता क‌र्फ्यू का समर्थन करने के बाद शाम पांच बजते ही शंखनाद किया। ताली व थाली बजाकर कोरोना वायरस को दूर भगाने की कोशिश की। ताली, थाली, घंटी व शंख बाजकर वायरस के असर को खत्म करने का तरीका अपनाया। शाम ठीक पांच बजे अपने घरों की बालकनी, आंगन में खड़े होकर ताली, थाली, घंटी शंख बजाने लगे। रुन्नीसैदपुर के गाढ़ गांव में इस दौरान मॉडल व अभिनेत्री नेहा राठौर ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मास्क लगाकर और सैनिटाइज्ड होकर कोरोना से बचाव का संदेश दिया। नेहा के साथ उनकी दादी कुसुम देवी, पिता अभय कुमार सिंह, अर्चना सिंह, रेखा सिंह, विकास सिंह, पुष्पक सिंह के अलावा डुमरा प्रा.वि. भासर गोट, महारानी स्थान की प्रधान शिक्षिका रीता कुमारी ने अपने घर के सदस्यों के साथ छत पर जाकर घंटी, थाली व शंख बजाए। दरअसल, इनसे निकलने वाली ध्वनि के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों फायदे बताए जाते हैं। सनातन धर्म-संस्कृति में करतल ध्वनि, घंटा ध्वनि, शंख की ध्वनि को काफी प्रभावशाली माना गया है। इसलिए शुभ मौकों पर इसका प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार घंटियों की आवाज कानों में पड़ने से हमारे दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से में एक एकता पैदा करती हैं। जिस क्षण हम घंटा-घंटी बजाते हैं, यह एक तेज और स्थायी ध्वनि उत्पन्न करते हें, जो प्रतिध्वनि मोड में न्यूनतम 7 सेकंड तक रहता है।

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