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..और फणि दा गढ़ते गए मूर्ति, छोड़ते गए निशानी

वर्ष 1953 में एक फिल्म आई थी दो बीघा जमीन । इसका एक गीत- मौसम बीता जाए अपनी कहानी छोड़ जा कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आए या न आए..!

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 01:08 AM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 01:08 AM (IST)
..और फणि दा गढ़ते गए मूर्ति, छोड़ते गए निशानी
..और फणि दा गढ़ते गए मूर्ति, छोड़ते गए निशानी

सीतामढ़ी, विजय। वर्ष 1953 में एक फिल्म आई थी 'दो बीघा जमीन '। इसका एक गीत- 'मौसम बीता जाए, अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा, कौन कहे इस ओर तू फिर आए या न आए..'! इस पंक्ति ने शिल्पकार फणि विश्वास पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि वे अपनी अनुपम कृतियों से निशानी छोड़ते गए। बाल्यकाल से ही उनकी जीजीविषा कभी कागज पर, कभी कैमरे से, तो कभी प्रतिमाओं के माध्यम से प्रदर्शित होती रही। शहर के रिगबांध लक्ष्मणानगर स्थित उनके आवास की आर्ट गैलरी में गांधी-नेहरू मधुर मिलन, गोपाल सिंह नेपाली, स्वामी विवेवकानंद, वीर सावरकर, मोहम्मद रफी, दुष्यंत-शकुंतला का प्रणय ²श्य उनकी कृतियों की कहानी बखूबी कह रहे हैं। वे खुद कहते थे-'सात साल की उम्र में गांव में पिताजी के साथ रामायण कथा सुनने जाता था। बहुत मनभावन लगता था। लेकिन, माता सीता की वेदना का वर्णन सुनते ही आंसू निकल पड़ते थे। बाद में असहनीय हुआ तो कथा सुनने जाना बंद कर दिया।'फणी का जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी आना इक्तेफाक ही था। मगर उनका जाना आम लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गया। उनका सपना'जानकी उदभव'झांकी को सीतामढ़ी की पहचान के रूप में साकार करना जगत माता की कृपा ही मानते हैं सब लोग..!

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-------------- साहित्यकारों ने दी शिल्पकार फणिभूषण विश्वास को श्रद्धांजलि

सीतामढ़ी, संवाद सहयोगी: जिले के चर्चित कलाकार फणी भूषण विश्वास के निधन पर शोक की लहर है। एक कुशल शिल्पी के निधन ने समाज के सभी तबके के लोगों को मर्माहत कर दिया है। शहर के कॉलेज रोड में बुधवार की शाम शोकसभा में जिले के साहित्यकारों ने शिल्पर्षि फणि दा के निधन पर दु:ख व्यक्त किया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की सीतामढ़ी शाखा के जिलाध्यक्ष मुरलीधर झा मधुकर की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि कला शिल्पी फणि भूषण विश्वास की कमी देश और दुनिया को हमेशा खलती रहेगी। उन्होंने जीवनभर कला साधना की बदौलत जिले को गौरवान्वित किया। अभी उनकी कई अधूरी कला सृजन आवासीय परिसर में पड़ी हुई है। अगर कुछ वक्त और मिल गया होता, तो शायद जिले के गौरव में कुछ और कड़ी जुड़ जाती। वक्ताओं ने राज्य सरकार व जिला प्रशासन से कला शिल्पी के नाम पर एक संग्रहालय का निर्माण कराने और शिल्पर्षि के कलाकृतियों को भावी पीढ़ी के लिए सहेज कर रखने की मांग की। मौके पर संगठन मंत्री वाल्मीकि कुमार, जितेंद्र झा आ•ाद, गुफरान राशिद, बच्चा प्रसाद विह्वल व अभिषेक कुमार समेत अन्य ने दो मिनट का मौन रखकर शिल्पर्षि को श्रद्धांजलि दी।

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शिल्प ऋषि फणि भूषण विश्वास व संत दामोदरदास त्यागी को दी श्रद्धांजलि

सीतामढ़ी: सीतामढ़ी संस्कृति मंच की ओर से एक निजी स्कूल परिसर में शिल्प ऋषि फणि भूषण विश्वास एवं संत दामोदरदास त्यागी के देहावसान के मद्देनजर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता कथाकार राजेन्द्र सिन्हा ने की तथा आयोजन का संचालन विमल कुमार परिमल ने किया। इस अवसर पर दर्जनों बुद्धिजीवियों ने उन दिव्य आत्माओं के प्रति श्रद्धा के शब्द सुमन अर्पित किया। अपने अध्यक्षीय उदगार में राजेन्द्र सिन्हा ने फणि दादा को दिल और दिमाग से सच्चा कलाकार बतलाया। अन्य वक्ताओं में आनंद कुमार मिश्र, सुरेश वर्मा, सुभद्रा ठाकुर, संत जानकी नाथ उसे फल हारी बाबा, प्रमोद कुमार, दिनेश चन्द्र द्विवेदी, डॉ. दशरथ प्रजापति, अमरेन्द्र कुमार, सुरभि कुमारी, सोनी कुमारी आदि मौजूद थे।


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