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कोरोना को भगाने में सब एकजुट, लॉकडाउन खत्म करने में बटे फिफ्टी-फिफ्टी

लॉकडाउन कैसे कितना खोला जाए इसपर विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन जितना लंबा खिचेगा उतना ही आर्थिक संकट गहराएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 11:29 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 06:14 AM (IST)
कोरोना को भगाने में सब एकजुट, लॉकडाउन खत्म करने में बटे फिफ्टी-फिफ्टी
कोरोना को भगाने में सब एकजुट, लॉकडाउन खत्म करने में बटे फिफ्टी-फिफ्टी

सीतामढ़ी। लॉकडाउन कैसे कितना खोला जाए, इसपर विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन जितना लंबा खिचेगा, उतना ही आर्थिक संकट गहराएगा। इसको लेकर सरकार ने भी गंभीर चितन शुरू कर दिया है कि कोरोना को काबू में करते हुए 14 अप्रैल को लॉकडाउन कैसे खोला जाए। प्रधानमंत्री स्वयं विपक्षी पार्टिंयों से लेकर समाज के अलग अलग वर्ग से सीधे बात भी कर रहे हैं। दैनिक जारण ने कई वर्गों से इस विषय पर जानने का प्रयास किया। कोरोना को भगाने में सब एकजुट तो हैं मगर, लॉकडाउन खत्म करने के सवाल पर फिफ्टी-फिफ्टी बट जाते हैं।

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लॉकडाउन को क्रमवार ही खोलना होगा, क्योंकि अभी बाहर से आए लोगों व संदिग्धों की जांच अभी बाकी है। इसलिए एक से दो सप्ताह का लॉकडाउन अभी बढ़ाना चाहिए। शुरुआत में आवश्यक सामान के अलावा अन्य सामान की दुकान एवं डॉक्टरों के क्लीनिक आदि समयबद्ध ढंग से खोला जाए। यातायात की सुविधा फिलहाल बंद ही रहे तो अच्छा है। जो जहां हैं वही पर एक सीमित समय में लेन-देन व काम करें। -राजेश कुमार सुन्दरका, संस्थापक सचिव, सीतामढ़ी चैम्बर ऑफ कॉमर्स।

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देश की अर्थव्यवस्था तथा आमलोगों की जिदगी का ख्याल रखते हुए लॉकडाउन खोलने पर सरकार को विचार करना चाहिए। कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रभावित इलाके मे लॉकडाउन बहाल रखा जाए। घरेलु उड़ानें चालू रही, विदेशी बंद की जाए। जरूरी रेल सेवा को सतर्कता के साथ चालू किया जा सकता है। कम प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लगाकर लोगों के जुटने पर प्रतिबंध जरूरी होगा।

जलंधर यदुवंशी, अध्यक्ष, संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा तथा लोहिया समाज।

------------- लॉकडाउन व फिजिकल डिस्टेंसिग ही कोरोना से मुक्ति का एकमात्र उपाय है। कोरोना का जब नया केस आना बंद हो जाए तब लॉकडाउन में थोड़ी ढीला की जा सकती है। इसके पहले बाहर फंसे लोगों की मेडिकल जांच कराकर स्पेशल ट्रेन या विशेष विमान से उन्हें उनके घरों तक पहुंचाएं। घर आने पर भी उन्हें होम क्वारंटाइन रहने की व्यवस्था की जाए।

-- प्रो.उमेशचंद्र झा, व्याख्याता, रघुनाथ झा कॉलेज।

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अभी भी फिजिकल डिस्टेंसिग, कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है। अत: लॉकडाउन खुलने के बाद भी इसका पालन होना चाहिए। बच्चों व बुजुर्गों को घर पर हीं रहना चाहिए। अर्थव्यवस्था के परिपेक्ष्य में एक सीमित स्तर तक बाजार खुलने की छूट मिलनी चाहिए, ताकि लोग फिजिकल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए अपने काम पर भी जा सकें।

- प्रो. ज्योति सुंदरका, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन।

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बीमार-परेशान लोगों के हित का ख्याल भी करे सरकार :

सीतामढ़ी, हॉस्पिटल रोड के दंत रोग विशेषज्ञ, डॉ. संजय कुमार पूर्वे ने बताया कि लॉकडाउन के बाद कोरोना के अलावा विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए शहरी विशेषकर ग्रामीण मरीजों को काफी परेशानी हुई है। रोगी तथा उसके स्वजन दूरभाष पर चिकित्सकों से परामर्श लेकर काम चला रहे थे। कई प्रकार की बीमारियों में रोगी का चिकित्सकों से मिलना जरूरी रहता है। बहुत सारी गंभीर बीमारियों के रोगी का दूसरे प्रदेशों के अस्पतालों तथा विशेषज्ञों से भी समय निर्धारित होता है। लॉकडाउन के बाद सभी निजी क्लीनिकों को सैनिटाइज रखने के साथ रोगी को एक दूसरे से दूरी बनाकर बैठने, मास्क लगाने, चिकित्सा केंद्र पर हाथ सफाई की व्यवस्था करने की हिदायत के साथ शीघ्र क्लीनिक खोलने का सरकार को निर्देश देना चाहिए। जिससे आमजन की बीमारी तथा परेशानी शीघ्र दूर हो सके।


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