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नौ माह में 59 हत्या, सात डकैती, 20 दुष्कर्म, 296 अपहरण

सीतामढ़ी । अपराध पर अंकुश के लिए सीतामढ़ी पुलिस प्रयोगों में उलझकर रह गई लगती है। शायद यही कारण है कि जिले में आए दिन हो रही आपराधिक घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 01:46 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:15 AM (IST)
नौ माह में 59 हत्या, सात डकैती, 20 दुष्कर्म, 296 अपहरण
नौ माह में 59 हत्या, सात डकैती, 20 दुष्कर्म, 296 अपहरण

सीतामढ़ी । अपराध पर अंकुश के लिए सीतामढ़ी पुलिस प्रयोगों में उलझकर रह गई लगती है। शायद यही कारण है कि जिले में आए दिन हो रही आपराधिक घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। आपराधिक वारदातों के मामलों में यह जिला सूबे के 15 बड़े जिलों में शुमार है। जनवरी से सितंबर तक 5354 संज्ञेय अपराध सामने आए हैं। इन नौ महीने में 59 हत्याएं, 603 चोरी, सात डकैती, 73 दंगे, 296 अपहरण, 20 दुष्कर्म, 64 लूट, 53 सड़क लूट की घटनाएं दर्ज की गई हैं। राह चलतीं महिलाओं और पुरुषों के गले से चेन व मोबाइल झपटने की घटनाएं गिनती में नहीं हैं। अपराधी मस्त और जनता त्रस्त है। आंकड़े बताते हैं कि यहां सबसे जघन्य अपराध यानी हत्या, अपहरण व दुष्कर्म की घटनाएं किस कदर बढ़ी हैं। खासकर हत्याओं का सिलसिला काफी तेज हो गया है। अपराध के इन सरकारी आंकड़ों को देखने से यहीं लगता है कि जिले में अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए प्रहार कम और प्रचार अधिक हुआ है। माह हत्या लूट दुष्कर्म चोरी अपहरण सेंधमारी दंगा सड़क लूट

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जनवरी 5 6 0 94 41 15 12 05

फरवरी 6 7 02 61 28 09 07 05

मार्च 8 10 01 67 34 18 01 09

अप्रैल 9 07 06 61 40 14 07 07

मई 5 06 01 56 31 16 15 06

जून 6 04 05 68 27 08 11 01

जुलाई 7 07 01 55 35 12 05 04

अगस्त 5 07 04 80 32 18 07 07

सितंबर 8 10 0 61 28 12 08 09

कुल 59 64 20 603 296 122 73 53

पुलिस कप्तान से विधि-व्यवस्था में सुधार की उम्मीद

चोरी की घटनाएं बेतहाशा बढ़ी हैं। अमूमन हर रोज दो-तीन मिलाकर महीने में 67 चोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं। शहरी क्षेत्र में बढ़ती चोरी की घटना से लोग रतजगा कर रहे हैं। ठंड के मौसम में पुलिस गश्त भी सुस्त पड़ गई प्रतीत होती है। सड़क लूट के मामले में भी आपराध के ये आंकड़े सिर्फ नौ माह के हैं, अभी दिसंबर चल रहा है। जाहिर है अब तक के आंकड़े और अधिक होंगे। बेशक, पुलिस के समक्ष भी तमाम चुनौतियां हैं। साधन-संसाधन सीमित है। विषम परिस्थितियों के बावजूद आखिरी उम्मीद तो पुलिस ही है। लेकिन, स्थिति सुधरे तो बात बने। लोग इस उम्मीद में हैं। इस वर्ष जनवरी से हालत इतनी बिगड़ी है कि अपराध के मुकम्मल आंकड़े जुटाने में पुलिस महकमा पिछड़ गया है। लिहाजा, सितंबर तक के ही आपराधिक घटनाओं के आंकड़े सामने आए हैं। कोट :

क्राइम का मॉडस अपरेंडी के हिसाब से ये आंकड़े कोई ज्यादा नहीं हैं। पहले की तुलना में अपराध के ग्राफ में कमी आई है। हिस्ट्रीशिटर अपराधियों को जेल में बंद किया गया है। गुंडा एक्ट के तहत बड़ी संख्या में सूची में दर्ज किया गया है। आम जनता के सहयोग से अपराध पर नियंत्रण का प्रयास किया जा रहा है।

अनिल कुमार

पुलिस कप्तान, सीतामढ़ी।


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