गोयनका कालेज में चाहिए 53 शिक्षक, सिर्फ 13 के भरोसे कैसे होगी पढ़ाई
सीतामढ़ी। जिले का गौरव श्री राधाकृष्ण गोयनका कॉलेज में इंटर से लेकर पीजी स्तर तक की पढ़ाई होती है।
सीतामढ़ी। जिले का गौरव श्री राधाकृष्ण गोयनका कॉलेज में इंटर से लेकर पीजी स्तर तक की पढ़ाई होती है। लेकिन, कॉलेज शिक्षक- शिक्षकेत्तर कर्मियों की कमी से जूझ रहा है। विभिन्न विषयों में प्राध्यापक के 53 स्वीकृत पद की जगह मात्र 13 ही पदस्थापित हैं। वर्ग संचालन भगवान भरोसे है। रसायन विज्ञान, मनोविज्ञान, संस्कृत, उर्दू व अर्थशास्त्र में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं। यहीं वजह है कि छात्र सिर्फ नामांकन एवं परीक्षा फॉर्म भरने के लिए कॉलेज आते हैं। हालांकि कॉलेज में बीसीए का नियमित वर्ग संचालन होता है। बीसीए के छात्र-छात्राएं क्लास करने आते भी हैं। इधर, कॉलेज में फैशन डिजाइनिग की पढ़ाई भी शुरू की गई है। लेकिन अन्य विषयों में प्रध्यापकों के खाली पदों को भरे बगैर वर्ग संचालन पटरी पर आना नामुमकिन ही दिखता है। सबसे बुरी स्थिति विज्ञान संकाय की है। जहां गणित विषय में चार की जगह एक, भौतिक विज्ञान में पांच की जगह एक, वनस्पति विज्ञान में चार की जगह एक एवं जंतु विज्ञान में चार की जगह एक प्राध्यापक हैं। जबकि रसायन विज्ञान में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं। ऐसे में इंटर से लेकर स्नातकोत्तर तक के अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को निजी कोचिग संस्थानों पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, संसाधनों की भी घोर कमी है। लाइब्रेरी में स्टडी रूप व किताबों की घोर कमी है। प्रयोगशाला में सामग्री की कमी, पेयजल, शौचालय, साइकिल स्टैंड, कॉमन रूम एवं आधारभूत संरचना का भी अभाव है।
-------------- कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के एक ही प्राध्यापक हैं। इस कारण कोर्स पूरा नहीं हो पाता है। छात्राओं के लिए कॉमन रूम की व्यवस्था नहीं है।
- नम्रता सिंह, राजनीतिक विज्ञान
नियमित वर्ग संचालन नहीं होने से काफी परेशानी होती है। शैक्षणिक माहौल का अभाव है। कोचिग के सहारे पढ़ाई पूरी करने की विवशता है।
--जयोति शर्मा, पीजी सेकेंड समेस्टर बीसीए का नियमित वर्ग संचालन होता है। लेकिन कालेज में अन्य सुविधाएं नहीं होने से काफी परेशानी होती है।
-- शशिभूषण, बीसीए पार्ट टू प्राध्यापकों की कमी के कारण पढ़ाई बाधित होती है। लाइब्रेरी में पुस्तकों की कमी है। इसका लाभ छात्रों को नहीं मिलता है।
--राघवेंद्र यादव, राजनीतिक विज्ञान, पीजी
कॉलेज में अनेक समस्याएं थीं। करीब छह माह पूर्व ही उन्होंने यहां प्राचार्य का पदभार संभाला है। पूर्व की कई समस्याओं को दूर किया गया है। नियमित वर्ग संचालन के लिए मौजूद प्राध्यापकों को निर्देश दिया गया है। छात्र-छात्राओं को भी 75 फीसदी उपस्थिति के लिए नियमित वर्ग करने को कहा गया है। प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय को लिखा गया है। नैक से मूल्यांकन कराकर विश्वविद्यालय का सर्वोच्च कॉलेज बनाने का सपना साकार करने के लिए प्रयास जारी है।
-- डॉ. रामनरेश पंडित, प्राचार्य