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दो साल में ट्रेन से कटकर 30 मौतें, 12 की शिनाख्त नहीं

सीतामढ़ी। रेल का सफर जितना सुरक्षित व सुगम है उतना ही असुरक्षित और मुश्किल भी। सालभर में 11 लोगों की जान ट्रेन की चपेट में आने से चली गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 12:45 AM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 06:09 AM (IST)
दो साल में ट्रेन से कटकर 30 मौतें, 12 की शिनाख्त नहीं
दो साल में ट्रेन से कटकर 30 मौतें, 12 की शिनाख्त नहीं

सीतामढ़ी। रेल का सफर जितना सुरक्षित व सुगम है उतना ही असुरक्षित और मुश्किल भी। सालभर में 11 लोगों की जान ट्रेन की चपेट में आने से चली गई। वर्ष 2018 में सीतामढ़ी राजकीय रेल पुलिस के क्षेत्राधिकार में रेल की चपेट में आने से 18 लोगों ने जान गंवाई। इनमें 11 व्यक्तियों की शिनाख्त हो पाई। सात शवों के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लग पाई। इस साल 28 दिसंबर तक कुल 12 लोगों की मौत होने की सूचना है। इनमें सात की पहचान हुई और शवों को पोस्टमार्टम के बाद उनके स्वजन को सीपूर्द भी कर दिए गए। मगर पांच इस बार भी अज्ञात ही रहे। अधिकतर ये मौतें असावधानी के कारण हुईं। स्टेशन पर प्लेटफॉर्म से लेकर ट्रेनों में चढ़ने की आपाधापी के दौरान अक्सर यात्री दुर्घटना के शिकार होते हैं। गांव-देहात में रेल लाइन पार करते हुए भी कई मौतें होती हैं।

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वर्ष 2018 में ट्रेन की चपेट में आने से हुई मौतें :-

इंद्रावती देवी, 14 अप्रैल, अभिषेक कुमार, 18 अप्रैल, नसीम उर्फ भोलू, 10 जुलाई, मनीष कुमार, 27जुलाई, रामश्रेष्ठ राय, 29 जुलाई, संतोष राय, 22 अगस्त, राम तिजारत सिंह, 29 सितंबर, जाबिर मिया, 2 अक्टूबर, विनोद मंडल 02 अक्टूबर, मो कासीम 23 नवंबर, त्रिवेणी ठाकुर, 27 नवंबर। वर्ष 2019 में ट्रेन की चपेट में आने से हुई मौतें :-

राम प्रताप महतो, 15 फरवरी, शैलेन्द्र प्रसाद, 27 फरवरी, मनोरमा देवी, 15 अप्रैल, शंभू राय, 24 अप्रैल, सवैब अंसारी, 8 सितंबर, राधा कृष्ण सिंह, 15 सितंबर, हदिशन खातून, 5 नवंबर। कोट

रेल से हुई दुर्घटना में मौत पर पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलती है। पहले 4 लाख रुपये मिलते थे जो अब बढ़कर 8 लाख हो चुके हैं। ये मुआवजा रेलवे अपने उस यात्री को उपलब्ध कराती है, जो रेलवे के बोनाफाइड पैसेंजर होते हैं। यानी जिस यात्री के पास यात्रा टिकट होती है।

राजकुमार राम,

रेल थानाध्यक्ष


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