तीन पिलर पर खर्च हो गए 16 लाख, फिर भी चचरी की आस
जिले के बथनाहा प्रखंड के लछुआ गांव स्थित चमनिया नहर पर दो दशक से अधूरा पड़ा पुल निर्माण पूरा होने की बाट जोह रहा है। वर्ष 2001-02 में तत्कालीन सांसद अनवारूल हक ने सांसद निधि से पुल निर्माण की मंजूरी दिलाई थी।
सीतामढ़ी । जिले के बथनाहा प्रखंड के लछुआ गांव स्थित चमनिया नहर पर दो दशक से अधूरा पड़ा पुल निर्माण पूरा होने की बाट जोह रहा है। वर्ष 2001-02 में तत्कालीन सांसद अनवारूल हक ने सांसद निधि से पुल निर्माण की मंजूरी दिलाई थी। निर्माण कार्य शुरू हुआ तो ग्रामीणों में आशा जगी कि अब आवागमन सुलभ होगा। लेकिन तीन पिलर बनने के बाद काम रूक गया। 15 लाख की लागत से बनने वाले इस पुल के तीन पिलर पर लगभग 16 लाख खर्च हो गए। इसके बाद से निर्माण कार्य रूका पड़ा है। ठेकेदार भी काम छोड़कर जा चुका है। वही, तत्कालीन सांसद अनवारूल हक भी स्वर्ग सिधार गए। तबसे लेकर अब तक चार-चार सांसद और विधायक हुए। लेकिन, स्थिति जस की तस बनी रही। पुल नहीं बनने से लछुआ, भटौलिया, दिघी सहित कई गांवों की हजारों आबादी प्रखंड व जिला मुख्यालय आने-जाने में परेशानी झेल रही है। प्रखंड कार्यालय व जिला मुख्यालय जाने के लिए चमनिया नहर को पार करना ही पड़ता है। ग्रामीण अपने स्तर से पिलर पर बांस की चचरी रखकर आवागमन कर रहे हैं। अधूरे पुल की स्थिति को देख चार वर्ष पूर्व लछुआ गांव के राजेश कुमार चौधरी ने ग्रामीण कार्य विभाग में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन दिया। इसके जवाब में कार्यपालक अभियंता सह लोक सूचना पदाधिकारी ने बताया कि पुल के 15 लाख आठ हजार 700 रुपये का प्राक्कलन तैयार हुआ था। पहली किश्त के रूप में 13 लाख 57 हजार 800 रुपये मिले थे। इसमें 12 लाख 69 हजार 151 पिलर बनाने में हीं खर्च हो गए। तब पुनरीक्षण के बाद राशि बढ़ाकर 16 लाख 19 हजार 900 रुपये कर दी गई। इसमें से 88 हजार 648 रुपये ग्रामीण कार्य विभाग के पास है। शेष 3 लाख 50 हजार 748 रुपये के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया। लेकिन व समाहरणालय के फाइलों में गुम है। अब जब विधान सभा चुनाव की डुगडुगी बज गई है। ग्रामीण अधूरे पुल निर्माण को लेकर प्रत्याशियों को सबक सिखाने के मूड में हैं। गांव के निवासी व जदयू खेल प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष गोपाल कुमार, मनोज कुमार चौधरी, राकेश कुमार, शैलेश कुमार, राजीव भूषण व राजेश कुमार चौधरी कहते हैं कि अधूरे पुल निर्माण को पूरा नहीं होने के पीछे विभाग व ठीकेदार के साथ जनप्रतिनिधि भी जिम्मेवार हैं। इसके लिए वोट का बहिष्कार व वर्तमान जनप्रतिनिधि सहित प्रत्याशियों का विरोध किया जाएगा।