कांग्रेस कार्यालय के विवाद की हकीकत जानने पहुंची पुलिस
शेखपुरा। कांग्रेस के जिला कार्यालय आजाद हिद आश्रम पर मालिकाना हक का विवाद आखिरकार पुलिस तक पहुंच गया। शुक्रवार को इस मामले में जांच शुरू करते हुए पुलिस ने कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर वस्तु स्थिति की जानकारी ली।
शेखपुरा। कांग्रेस के जिला कार्यालय आजाद हिद आश्रम पर मालिकाना हक का विवाद आखिरकार पुलिस तक पहुंच गया। शुक्रवार को इस मामले में जांच शुरू करते हुए पुलिस ने कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर वस्तु स्थिति की जानकारी ली। अपने वरीय अधिकारी के निर्देश पर खुद शेखपुरा थाने के एसएचओ विनोद राम ने मामले की तहकीकात शुरू की है।
इस दौरान एसएचओ ने कांग्रेस कार्यालय जाकर वहां लोगों से पूछताछ की। जांच में पुलिस ने कथित केयर टेकर महिला से भी पूछताछ की है। एसएचओ ने बताया कि प्रारंभिक जांच से वे अपने वरीय अधिकारी को अवगत कराएंगे। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला जिले के कांग्रेसियों के ही दो गुटों के बीच वर्चस्व का प्रतीत होता है। पुलिस जांच के दौरान कांग्रेस कार्यालय के मेन गेट का ताला खुला हुआ था। परिसर के पुराने खपरैल भवन में ताला लगा हुआ था। बता दें कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने डीएम और एसपी को लिखित आवेदन देकर कांग्रेस कार्यालय में कुछ लोगों द्वारा ताला लगाने की शिकायत की थी। इसमें जदयू विधायक सुदर्शन कुमार ने इस परिसर को अपने दादा राजो सिंह की संपत्ति होने का दावा किया था।
जिलाध्यक्ष के खिलाफ पुराने कांग्रेसियों ने किया विद्रोह : कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुंदर सहनी के खिलाफ पुराने कांग्रेसियों (कांग्रेसियों के एक गुट) ने खुला विद्रोह कर दिया है। शुक्रवार को कांग्रेस कार्यालय आजाद हिद आश्रम में प्रेस कांफ्रेंस करके इस गुट ने सुंदर सहनी को जिलाध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया है तथा सहनी को कांग्रेस कार्यालय परिसर में कोई भी बैठक या कार्यक्रम नहीं करने देने का ऐलान किया है। प्रेस कांफ्रेंस में राजो सिंह के पौत्र सत्यजीत कुमार के साथ मुश्ताक खान, श्रवण सिंह, उमेश सिंह, प्रो. रामाकांत सिंह, प्रो. अजय, मुन्ना सिंह, ललन सिंह, वीरेंद्र सिंह, राजेश सिंह, राकेश कुमार आदि भी शामिल थे।
इन लोगों ने प्रदेश नेतृत्व द्वारा सुंदर सहनी को जिलाध्यक्ष मनोनीत किए जाने को अवैध बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यालय में तालाबंदी किए जाने का आरोप सुंदर सहनी का फरेब है। गेट की एक चाबी उनके पास भी है। प्रदेश नेताओं के कार्यक्रम को स्थगित कराने के लिए तालाबंदी का खुद नाटक किया। कांग्रेस कार्यालय में पुराने खपरैल भवन को राजो सिंह की स्मृति में नया रूप देने के लिए ताला लगाया है। बाकी सबकुछ खुला है। उन्होंने कहा कि सुंदर सहनी राजो बाबू को अलग रखकर अपनी नेतागिरी चलाना चाहते हैं। शेखपुरा में राजो सिंह को किनारे करके कांग्रेस नहीं चल सकती है। विधान सभा चुनाव में शेखपुरा सीट कांग्रेस को नहीं देने पर भी प्रदेश नेतृत्व को खरी-खोटी सुनाया। खाता-खतियान के साथ आगे आए लोजपा नेता : कांग्रेस कार्यालय के मालिकाना हक पर जदयू विधायक सुदर्शन कुमार के दावे को खारिज करने के लिए लोजपा नेता इमाम गजाली शुक्रवार को खाता-खतियान के साथ सामने आए। कांग्रेस कार्यालय आजाद हिद आश्रम के बगल में अपने कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर गजाली ने कागजी साक्ष्य के साथ दावा किया कि जब शेखपुरा की राजनीति में राजो सिंह का पदार्पण भी नहीं हुआ था तब आजादी के आंदोलन के समय हमारे परदादा ने डॉ. श्रीकृष्ण सिंह को यह जमीन कांग्रेस ऑफिस चलाने के लिए दान में दिया था। अगर, राजो सिंह के पौत्र और जदयू विधायक इस परिसर को अपने दादा की संपत्ति घोषित करते हैं, तो हम उनके दावे को अदालत में चुनौती देने को तैयार हैं।
प्राइवेट स्कूल का मोटा किराया है असली जड़ : कांग्रेस कार्यालय आजाद हिद आश्रम के मालिकाना हक पर उठे विवाद की असली जड़ यहां चल रहे एक प्राइवेट स्कूल से आने वाला मोटा किराया बताया जा रहा है। कांग्रेस कार्यालय परिसर की जिस जमीन पर प्राइवेट स्कूल चल रहा है,उसका मासिक किराया 25 हजार रुपया बताया गया है। पहले कई वर्षों से इसी भवन में महिला कॉलेज का छात्रावास चलता था। बाद में 2005 के आस-पास इसमें किराये पर स्कूल चलने लगा। बताया जाता है, स्कूल से आने वाला मोटा किराया ही इस विवाद का असली जड़ है। इस मुद्दे पर कोई पक्ष खुलकर अभी बोलने को तैयार नहीं है। मगर कुछ लोग दबी जुबान यह मांग भी करने लगे हैं कि पिछले 17-18 वर्षो से स्कूल का किराया किसने लिया और उस मोटी राशि का क्या हुआ इसकी जांच होनी चाहिये।